उत्तराखंड।।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विधायकों को जनसेवा का दिया मूलमंत्र।

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राष्ट्रपति ने यूसीसी समेत विभिन्न उपलब्धियों को गिनाया।

उत्तराखंड को देश का नम्बर वन राज्य बनाने की दिशा में सभी जुटें।

देहरादून।। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के रजत जयंती साल में उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि आज आत्म समीक्षा का भी दिन है।

उन्होंने महिलाओं, युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए विधायकों को जनसेवा,समर्पण व निष्ठा का मूलमंत्र का पाठ भी पढ़ाया।

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर क्षेत्र की जनता से जुड़कर उनकी सेवा करने का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है।

उन्होंने कहा अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकती हूं कि यदि विधायक सेवा-भाव से निरंतर जनता की समस्याओं के समाधान तथा उनके कल्याण में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जन-प्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन अटूट बना रहेगा। सामान्य जनता, जन-प्रतिनिधियों की निष्ठा को महत्व देती है।

उन्होंने सोमवार को आहूत विधानसभा के विशेष सत्र में उत्तराखंड की शौर्य परम्परा को याद करते हुए कहा कि आत्म समीक्षा के अलावा नंबर वन प्रदेश बनाने की दिशा में मिलजुल कर कार्य करना होगा।

 राष्ट्रपति ने लिखित भाषण से अलग हटकर भी खास बातें कही।

उन्होंने साफ कहा कि राज्य के लिए यह आत्म समीक्षा का दिन भी है। विधायकों को जनसेवा के कर्तव्य की भी याद दिलाई।

उन्होंने महिला विश्व कप में भारतीय टीम की ऐतिहासिक जीत पर भी बधाई दी।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपने 13 मिनट के सम्बोधन में आंदोलनकारी सुशीला बलूनी, एवरेस्ट विजेता बछेन्द्री पाल, चिपको आंदोलन की कर्णधार गौरा देवी, राधा भट्ट और हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के योगदान को याद करते हुए कहा कि असाधारण महिलाओं की यह गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी।

राष्ट्र्पति मुर्मू के संबोधन से पूर्व राज्यपाल, स्पीकर, मुख्यमंत्री व नेता विपक्ष ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया।

सोमवार की सुबह 11 बजे आहूत विशेष सत्र की कार्यवाही 45 मिनट तक चली।

राष्ट्रपति के भाषण के बाद सदन की कार्यवाही 4 बजे तक स्थगित कर दी गयी।

राष्ट्रपति का मूल भाषण

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के अवसर पर उत्तराखंड विधान सभा के विशेष सत्र में सम्बोधन

इस समारोह में उपस्थित उत्तराखंड के राज्यपाल, लेफ्टिनेन्ट जनरल गुरमीत सिंह, विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, विपक्ष के नेता श्री यशपाल आर्य, गणमान्य अतिथियो देवियो और सज्जनो,

नमस्कार!

उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर, लोकतन्त्र के इस मंदिर में, विधान सभा के विशेष सत्र में आप सबके बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

इस अवसर पर मैं उत्तराखंड विधान सभा के पूर्व और वर्तमान सदस्यों तथा राज्य के सभी निवासियों को बधाई देती हूं।

श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान यहां के जनमानस की आकांक्षा के अनुरूप, बेहतर प्रशासन और संतुलित विकास की दृष्टि से, वर्ष 2000 के नवंबर महीने में इस राज्य की स्थापना की गई।

यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि विगत पचीस [25] वर्षों की यात्रा के दौरान उत्तराखंड के लोगों ने विकास के प्रभावशाली लक्ष्य हासिल किए हैं। पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य-सेवा और शिक्षा के क्षेत्रों में राज्य ने सराहनीय प्रगति की है। Digital और physical connectivity तथा infrastructure development के क्षेत्रों में भी विकास हुआ है।

विकास के समग्र प्रयासों के बल पर राज्य में human development indices [इन्डसीज़] के कई मानकों पर सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राज्य में साक्षरता बढ़ी है,महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ है,मातृ एवं शिशु-मृत्यु-दर में कमी आई है तथा स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की मैं विशेष सराहना करती हूं।

उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण के प्रयासों से सुशीला बलूनी, बछेन्द्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी।

श्रीमती ऋतु खंडूड़ी भूषण को राज्य की पहली महिला विधान सभा अध्यक्ष नियुक्त करके उत्तराखंड विधान सभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। मैं चाहूंगी कि सभी हितधारकों के सक्रिय प्रयास से उत्तराखंड विधान सभा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हो।

माननीय सदस्य-गण, उत्तराखंड की इस देव-भूमि से अध्यात्म और शौर्य की परम्पराएं प्रवाहित होती रही हैं। भारत का यह पवित्र भूखंड अनेक ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। Kumaon Regiment तथा Garhwal Regiment के नाम से ही यहां की शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है। यहां के युवाओं में भारतीय सेना में सेवा करके मातृ-भूमि की रक्षा करने के प्रति उत्साह दिखाई देता है।

उत्तराखंड की यह शौर्य परंपरा सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात है।

भारत की लोकतान्त्रिक परंपरा को शक्ति प्रदान करने में उत्तराखंड के अनेक जन-सेवकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

हमारे संविधान निर्माताओं ने ‘नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता’ के निर्माण हेतु संविधान के अनुच्छेद चौवालीस [44] के तहत प्रावधान किया था।

संविधान निर्माताओं के नीति निर्देश के अनुरूप समान नागरिक संहिता विधेयक लागू करने से जुड़े उत्तराखंड विधान सभा के सदस्यों की मैं सराहना करती हूं।

उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि उत्तराखंड विधान सभा में पांच सौ पचास [550] से अधिक विधेयक पारित किए गए हैं,उन विधेयकों में उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमीन्दारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था विधेयक तथा नकल विरोधी विधेयक शामिल हैं। पारदर्शिता,नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित ऐसे विधेयकों को पारित करने के लिए मैं अतीत और वर्तमान के सभी विधायकों की सराहना करती हूं।

माननीय सदस्य-गण, विधान सभाएं हमारी संसदीय प्रणाली का प्रमुख स्तम्भ हैं। बाबासाहब आंबेडकर ने कहा था कि संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को अपनाकर निरंतर उत्तरदायित्व को अधिक महत्व दिया था। जनता के प्रति निरंतर उत्तरदाई बने रहना संसदीय प्रणाली की शक्ति भी है और चुनौती भी। विधायक-गण, जनता और शासन के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। जमीनी स्तर पर क्षेत्र की जनता से जुड़कर उनकी सेवा करने का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। एक विधायक के रूप में मुझे नौ वर्ष जन-सेवा का अवसर मिला था। अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकती हूं कि यदि विधायक सेवा-भाव से निरंतर जनता की समस्याओं के समाधान तथा उनके कल्याण में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जन-प्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन अटूट बना रहेगा। सामान्य जनता, जन-प्रतिनिधियों की निष्ठा को महत्व देती है।

मैं अनुरोध करूंगी कि विकास तथा जन-कल्याण के कार्यों को आप सब पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ाएं। ऐसे कार्य दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं। समाज के वंचित वर्गों के कल्याण एवं विकास पर आप सब विशेष संवेदनशीलता के साथ कार्य करें। साथ ही, युवा पीढ़ी को विकास के अवसर प्रदान करना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि उत्तराखंड विधान सभा में इस वर्ष National Electronic Vidhan Application की व्यवस्था का शुभारंभ हुआ है तथा इसके माध्यम से दो सत्रों का संचालन किया जा चुका है।

इस application के जरिये आप सभी विधायक-गण, संसद तथा अन्य विधान-सभाओं एवं विधान-परिषदों के best practices को समझ सकते हैं, अपना सकते हैं।

माननीय सदस्य-गण, उत्तराखंड में अनुपम प्राकृतिक संपदा और सौन्दर्य विद्यमान हैं।

प्रकृति के इन उपहारों का संरक्षण करते हुए ही, विकास के मार्ग पर राज्य को आगे ले जाना है।

उत्तराखंड की पचीस [25] वर्ष की विकास-यात्रा, विधायकों के योगदान से ही संभव हो पाई है। मैं आशा करती हूं कि जन-आकांक्षाओं को आप सब सक्रिय अभिव्यक्ति देते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना के साथ आप सब राज्य को तथा देश को विकास-पथ पर तेजी से आगे ले जाएंगे।

उन्होंने कहा कि मैं उत्तराखंड के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना करती हूं।              धन्यवाद! जय हिन्द! जय भारत!

प्रगति मीडिया से सुनील जुयाल की रिपोर्ट।

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