प्रगति मीडिया एक बहुत ही विस्तृत सहज और सरल मीडिया है . अगर आप हमसे संपर्क करना चाहते हैं तो हम आपको यहाँ पर विभिन्न मार्ग उपलब्ध करा रहे हैं. आप हमसे ईमेल के द्वारा, दूरभाष द्वारा अथवा हमसे सीधे मिलकर भी संपर्क कर सकते हैं. इनके लिए नीचे जानकारी दी हुई है-
आप हमारी website देख सकते है www.pragatimedia.org
हमारे Youtube पर आप प्रगति मीडिया की जानकारी व खबरें देख सकते हैं
PRAGATI MEDIA ALL INFORMATION CLICK HERE
अगर आप कुछ पुछना चाहते हैं तो आपके पास जिस मीडिया साथी की call आयी है उनसे आप जान सकते है या आप सम्पर्क कर सकते है 7983444450
हमारा पता है-
कार्यालय पता - Kewal Park Extension, Power House Road New Delhi
Contact No - 9058280883, Whatsapp 7983444450 ,
फ्रीलांसर पत्रकारिता पर क्यों उठते है, इतने सवाल
फ्रीलांसर पत्रकारिता पर क्यों उठते है, इतने सवाल
सभी ने क्यों इस पर मचा रखा है, इतना बवाल
अगर हो जाओ सहमत मेरी बातों से
तो फिर,बदलो अपने थोड़े से
फ्रीलांसर पत्रकारिता पर विचार ।
मैं वानी शर्मा फ्रीलांसर पत्रकारिता पर क्यों उठते इतने सवाल पर अपने दृष्टिकोण बताने जा रही हूं आशा करती हूं कि मेरे विचार सभी को पसंद आएंगे
सबसे पहले हम जानते हैं, फ्रीलांसर का मतलब
क्या होता है?
फ्रीलांसर का अर्थ होता है रिलैक्स, फ्री, पूर्ण रूप से स्वतंत्र, या हम अपने शब्दों में कह सकते हैं 'आजादी'
इसी कारण फ्रीलांसर को स्वतंत्र पत्रकारिता भी कहते हैं। फ्रीलांसर पत्रकारिता को स्वतंत्र पत्रकारिता इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसका संबंध किसी विशेष समाचार पत्र से नहीं होता है,
क्योंकि इसका संबंध किसी विशेष समाचार पत्रों से नहीं होता इसलिए यह किसी भी समाचार पत्र के लिए अपने विचारों को अभिव्यक्त कर लेख लिख सकता है बिना किसी बाधा के, और जो फ्रीलांसर पत्रकार अपना परिश्रम या श्रम लगाते हैं वह इसके लिए पूंजी भी प्राप्त कर सकते हैं।
आज के समय में पत्रकारिता के बहुत से अन्य माध्यम हो चुके हैं जैसे नई टेक्नोलॉजी का विकास कर वेब पत्रकारिता हम सबके सामने अच्छा खासा उदाहरण है।
इस बदलते समय में सच को सामने लाना और उसे प्रकाशित करना उतना ही कठिन हो गया है तो जितना की सरल ।
सच को सामने लाना, सच को ही दिखाना, और सच को ही बताना,
पहली मांग है , हम सबकी
फिर क्यों ? आखिर क्यो ?
हम ही बन जाते हैं कठपुतली किसी और के बोली और कलम की ।
ऐसे ही प्रश्न उठते हैं ना हम सभी के जेहन में क्योंकि सवाल हमारे है तो उत्तर भी हमारे होने चाहिए।एक तरफ नई टेक्नोलॉजी का विकास होने से देश आगे की ओर अग्रसर हो रहा है तो दूसरी तरफ आज के समय में बेईमानी ठगी लूटपाट और अन्य अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, फिर भी कुछ फ्रीलांसर पत्रकार ही है जो जी जान से सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर सच को उजागर करने में हर मुमकिन कोशिश करते हैं, तो कई लोग बेईमानी की पत्रकारिता का चोला ओढ़े और ईमानदारी का मुखौटा पहने कुछ बिकाऊ सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर उसी सच को दबाने ढकने और सामने ना आने की अपनी अनेक अधम कलाओं को अपनाते हैं।
अस्त व्यस्त हैं सभी अपनी आजीविका को चलाने में,
फिर भी समय निकाल लेते हैं ,अपने विचारों को उभार कर सामने लाने में।
प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में व्यस्त हैं, और अपनी दिनचर्या को चलाने के लिए व्यापार व अन्य कार्य जो कि बिजनेस इत्यादि कर रहे हैं, ऐसे में थोड़ा समय निकालकर, या यूं कहें अपने जीवन शैली में से थोड़ा समय चुराकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं, अपने विचार हमारे साथ बांटते हैं ताकि एक नई सोच एक नई उमंग और एक नई दिशा कायम कर पाए और अपने जीवनशैली में इसका कोई नकारात्मक प्रभाव ना पड़े
लेकिन फिर भी उन्हीं लोगों पर कुछ ऐसे सवाल उठ जाते हैं जो फ्रीलांसर पत्रकारिता करते हैं,कि बिना डिग्री बिना जर्नलिज्म और बिना कोई कोर्स किए यह कैसे पत्रकारिता कर सकते हैं ? कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए और अपराधों को नई दिशा देकर उसे तोड़ मरोड़ कर झूठ को छुपा के पत्रकारिता द्वारा ही पेश किया जाता है और लोगों को गुमराह किया जाता है,इसलिए लोगों का पत्रकारिता पर से भरोसा डगमगा सा गया है|
[post-ads]
[post-ads]
क्योंकि पत्रकारिता का ही जोर है,
जो निर्भया दामिनी का केस दिया पूरी तरह निचोड़ है
सवाल नहीं साथ दो आगे बढ़कर हाथ दो
पत्रकारिता कलम की वह ताकत है जिसकी कोई सीमाएं नहीं ।
पत्रकारिता कलम की वह ताकत है जिसकी कोई सीमाएं नहीं ।
जितनी भरी उमंगे होंगी ,उतनी गहरी तरंगे होंगी
और लोगों में अपनी एक अलग ही धारणा उत्पन्न हो गई है यह धारणा सभी की नहीं है यह हम भली-भांति हम जानते हैं। लेकिन कुछ लोगों की ऐसी धारणा से उन्हें फर्क पड़ता है और उनका सच उनकी मौजूदगी उपस्थित होकर भी गौण हो जाती है।
इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि सभी लोग ऐसे ही हैं या ऐसा ही करते हैं हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं प्रत्येक प्राणी भिन्न-भिन्न प्रकार का और भिन्न-भिन्न विचार प्रकट करने वाले होता है इसलिए सवाल करने वाला कोई और नहीं हम ही हैं तो उत्तर भी हमारे पास ही होगा।
कहीं स्वार्थ है तो कहीं निस्वार्थ देशभक्ति की भावना
कहीं सच का बोलबाला है तो कहीं झूठ की है बड़ी सराहना
इसलिए मत करिए यह बेतूके से सवाल
क्योंकि इन सभी प्रशनो से हमें नहीं है, भागना
क्योंकि पत्रकारिता के माध्यम से ही कोई भी सच हमारे सामने आता है जिससे हम लोगों के विचार बदलते हैं सोच बदलती है नई धारणा का जन्म होता है, और इससे हमारे देश का राष्ट्र का विकास होता है नई सोच और नई टेक्नोलॉजी का सकारात्मक प्रयोग किसी भी देश को उज्जवल भविष्य और तरक्की की ओर अग्रसर करता है।
और नई धारणा जन्म लेती है तो मनुष्य की सोच में परिवर्तन होता है तो समाज में भी परिवर्तन होता है ।
जितना होगा सागर जैसा गहरा मन
लेख लिखना होगा उतना ही संपन्न।
मुंह से शब्दों की अभिव्यक्ति थोड़ी आसान है
अगर कला है तथ्यों को लिखने की तो
इसे समझो तुम अपनी शान का अभिमान है।
क्योंकि मेरा भारत देश महान है।
क्योंकि मेरा भारत देश महान है।
जय हिंद जय भारत।