शाहजहांपुर जेल में भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई सर्वप्रथम सभी अधिकारियों कर्मचारी एवं बंदियों के द्वारा उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उसके बाद भारी-भारी से इच्छुक अधिकारियों एवं बंधिया के द्वारा उनके योगदान की महत्व पर प्रकाश डाला जेल अधीक्षक के द्वारा यह समझाया गया के उन्हें क्यों संविधान निर्माता कहा जाता है संविधान निर्मात्री सभा प्रारूप समिति एवं संविधान के मसौदे को तैयार करने में जो मेहनत विद्वता और समय लगा उसको विस्तार से समझाया और यह समझाया की किस तरह से आज हम लोकतंत्र में अधिकार के साथ जी रहे हैं यह संविधान की ही देन है और संविधान भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के अथक परिश्रम और प्रकांड विद्वता का परिणाम है। डॉ अंबेडकर का बचपन से मोटो था कि मुझे पूजना नहीं पढ़ना है। बंदियों द्वारा भी उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर गानों व नृत्य के द्वारा प्रकाश डाला।
भारत के इतिहास में जन्मे कई सारे महापुरुषों में से एक बड़ा नाम है बाबा साहब भीमाराव अंबेडकर का, जिन्होंने समाज, शिक्षा, राजनीति और न्याय व्यवस्था की दिशा में कई बदलाव किए। डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर ऐसे ही एक महान विचारक, समाज सुधारक, और संविधान निर्माता थे, जिनका जन्म
जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले आंबेडकर को समानता और ज्ञान के प्रतीक माना जाता है। आंबेडकर को विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन संविधान निर्माता और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। आंबेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने 14 अप्रैल 1928 में पुणे नगर में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंती के अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथ से, ऊँट के ऊपर कई मिरवणुक निकाली थी।
कारागार में अगले 15 दिन तक अम्बेडकर जयंती से सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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