"पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं"
जेल में बंद होने वाले हर व्यक्ति पर यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है जेल में कितनी भी व्यवस्थाएं चाक चौबंद हो जाएं, फिर भी स्वतंत्रता तो बाधित रहती ही है।
शाहजहांपुर जेल प्रशासन का यह भरसक प्रयास रहता है कि जिस किसी भी बंदी को कारागार से रिहा किया जा सकता है वह व्यक्ति कारागार में विरुद्ध ना रहे इसके लिए अनेक प्रकार के प्रयास किया जा रहे हैं जिसमें जेल में लोक जेल अदालत आयोजित कराकर छोटे-मोटे केसों में निरोध बंधिया को मुक्त करना, उनकी जमानत करना एवं समय पूर्व मुक्ति के आधार पर बंदियों को शासन स्तर पर रिहा करना इसके साथ ही साथ ऐसे गरीब बंदी जो अपनी मूल सजा पूरी कर चुके हैं किंतु अपनी गरीबों के कारण जुर्माना जमाना कर पाने के कारण कारागार से रहा नहीं हो पा रहे हैं ऐसे बंदियों के जुर्माने की धनराशि की व्यवस्था विभिन्न माध्यमों से सहयोग प्राप्त करके उनका जुर्माना जमा करना और उन्हें कारागार से मुक्त करना आदि शामिल हैं
जेल लोक अदालतों के जरिए अब तक सैकडों बंदियों को रिहा किया जा चुका है साथ ही साथ जमानत स्वीकृत कराकर एवं यदि जमानतदार नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं तो उसकी भी प्रक्रिया के तहत व्यवस्था कराकर भी सैकड़ो बंदी रिहा किया जा चुके हैं। इसी प्रकार गरीबों के कारण जुर्माना जमाना कर पाने के कारण भी अनेक बंदियों को उनका जुर्माना जमा करा कर जेल से रिहा कराया जा चुका है।
इसी कड़ी में आज बंदी बसीउल्ला पुत्र अली उल्ला जिसे 3 वर्ष की सजा एवं ₹10000 का जुर्माना था तथा वह अपनी 3 वर्ष की सजा पूरी कर चुका था₹10000 के जुर्माने के एवज में 6 महीने की और सजा काटता।
जिसकी व्यवस्था स्वयंसेवी संगठन - "एसोसिएशन 4 4 प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स, लखनऊ" के द्वारा उक्त₹10000 की धनराशि जमा कराकर उक्त बंदी को कारागार से आजाद कर दिया बंदी द्वारा जेल अधीक्षक मिजाजी लाल का धन्यवाद किया और कहा कि साहब से मैंने एक बार ही कहा था कि साहब मैं जुर्माना जमा नहीं कर पाऊंगा मेरा ₹10000 जुर्माना जमा करा दीजिए तो मैं जेल से आजाद हो सकता हूं। नहीं तो मुझे 6 महीने और जेल में रहना पड़ेगा मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं और उनका भी घर छूट गया है, मैं अपने बच्चों के पास जाकर उनका पालन पोषण कर सकता हूं।
बंदी बसीउल्ला का ₹10000 का जुर्माना जमा कराकर उसे कैद से आजाद कर दिया उसने अनुरोध किया कि मेरे पास किराए के लिए पैसे नहीं है तो उसे किराए के लिए भी धनराशि जेल अधीक्षक द्वारा उपलब्ध कराई गई।
बंदी बसीउल्ला पुत्र अली उल्ला को रिहाई के समय जेल अधीक्षक मिजाजी लाल, जेलर कृष्ण मुरारी गुप्ता,संस्था की प्रतिनिधि श्रीमती सोनी के द्वारा बंदी को ससम्मान कारागार से विदा किया।
COMMENTS