बदहाल शिक्षा व्यवस्था फिर कैसे पढ़ेंगे छात्र..
गुरु महिमा के बारे में जानने के लिए केवल यह चौपाई ही पर्याप्त है
गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई।
जौ बिरंचि संकर सम होई यानि गुरु के बिना कोई भवसागर नहीं तर सकता, चाहें वह ब्रह्माजी और शंकरजी के समान ही क्यों न हो।
लेकिन हमारे देश में सरकारी स्कूल की स्थिति ऐसी है कि हमारा देश अंधेरे में जा रहा है जहां स्कूल में छात्र लेकिन शिक्षक नहीं तो ऐसे में ऐसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया .
मध्य प्रदेश सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था बेहतर बनाने के लाखो दावे करें, आम नागरिक की कमाई के टैक्स का करोड़ो रूपये खर्च भी करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है हम आपको। दिखा। रहे है हालात नरसिंहपुर जिले की तेंदूखेड़ा तहसील मुख्यालय में संचालित शासकीय उच्चतर कन्या शाला के जिसमें ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्र से 812 छात्राएं अध्ययन के लिए पहुंचा करती हैं लेकिन शाला में ना तो उचित बैठने की व्यवस्था है ना ही पर्याप्त संसाधन ,साथ ही शिक्षकों की कमी से छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता हुआ नजर आता है जहां कक्षा 11वीं और 12वीं में डॉक्टर बनने के सपने को लेकर प्रवेश लेने वाले छात्राओं को पढ़ाने के लिए सत्र प्रारंभ से लेकर से लेकर अब तक शिक्षक न उपलब्ध होना शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता हुआ नजर आता है छात्राओ को मजबूरन स्वयं ही अपने विषय की पढ़ाई करने प्रधानमंत्री के मूल मंत्र आत्म निर्भर बनने को मजबूर होना पड़ रहा है साथ ही एक दूसरे को अध्ययन कराने में मदद करनी पड़ती है जहां छात्राओं को निशुल्क पढ़ाई की जगह महंगी कोचिंग सैंटरो का भी सहारा लेने को मजबूर होना पड़ता है वही ऐसी स्थिति अन्य कक्षाओं की भी बनी हुई है अब ऐसे में कैसे पढ़े इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया इस पर अनेक सवाल खड़े होते हैं।
बाईट - संस्कृति बारोलिया छात्रा
बाईट - छात्रा
बाईट - छात्रा
बाईट - छात्रा
बाईट -रजनीश जैन प्रभारी प्राचार्य
शासन द्वारा मिलने वाली निशुल्क पुस्तकें गणवेश आदि पाठ्य सामग्री सत्र प्रारंभ से लेकर अब तक शिक्षा विभाग की ढीले रवैए के कारण न मिल पाने के कारण छात्रों पढ़ाई के नाम पर एक दूसरे का मुंह ताकना पड़ता है जहां स्कूल में ना तो पढ़ने के लिए पुस्तक है ना पढ़ाने के लिए शिक्षक ऐसे में मामा की भाजियां अपने आप को ठगा महसूस करती हुई नजर आती है
अब ऐसे में जरूरत है हुक्मरानों को सियासत से फुर्सत निकालकर नौनिहालों की भविष्य संवारने का जिससे शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त का देश का भविष्य बनाया जा सके.
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