जीवित व्यक्ति को मृत बनाने के पीछे मास्टरमाइंड तहसीलदार और एसडीएम
जिस मामले में मृत्यु होने की पुष्टि तहसीलदार और एसडीएम द्वारा की गई है उसी मामले पर पुलिस ने जानबूझकर मामला किया रफादफा‼️
उक्त जमीन का मामला करोड़ो के लेनदेन का हैं जिसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र पुलिस और प्रशासन की मिली भगत से रचा गया हैं पटवारी तो इस षड्यंत्र में मोहरा सहभागी मात्र हैं!
अब मामला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों तक जा चुका हैं जल्द हो सकती हैं बड़ी कार्यवाही मुख्य षड्यंत्रकारी एसडीएम और तहसीलदार जाएंगे जेल!
छिन्दवाड़ा :- उक्त मामला करोड़ो की जमीन से जुड़ा है जिसमे लम्बा लेंन देन किया हैं इसीलिए पुलिस ने मामले की वास्तविकता को दबाकर रफा-दफा कर दिया है जिस षड्यंत्र में पटवारी की भूमिका बनाई गई है वास्तव में पटवारी की उक्त अपराध में सहभागिता मात्र है
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जबकि उक्त सडयंत्र के मास्टरमाइंड तहसीलदार और एसडीएम है जिनको मोटी रकम पहुंचाने में एक वकील की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है संबंधित दस्तावेज भी उक्त वकील के द्वारा ही भरे गए थे और पटवारी के समक्ष पेश किए गए थे इस बात की जानकारी संबंधित तहसीलदार और एसडीएम साहब को है लेकिन पुलिस ने दूषित मानसिकता बनाकर लाभ लेने की नियत से काम किया है उक्त अपराधिक प्रकरण में जिसकी महत्वपूर्ण भूमिका है पुलिस उन्हें बचाने के लिए लगातार सहयोग कर रही है
उसकी मुख्य वजह यह है कि वह शहर का एक प्रतिष्ठित व्यवसायी है जिसका शहर में बड़ा प्रभाव भी है ओर दबाब भी है इसी वजह से पुलिस ने मामले की कमजोर कड़ी पटवारी को तो आरोपी बनाया है लेकिन सारे दस्तावेज बनाने वाले और हस्ताक्षर की पुष्टि करने वाले एसडीएम एवं तहसीलदार को क्यों छोड़ दिया यह अत्यधिक संदेह का विषय है, यही वजह है कि पुलिस की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि पुलिस ने जो मामला बनाया है उस मामले में पुलिस भी जानती है की इसके पीछे मुख्य षड्यंत्रकारी एक वकील, एसडीएम एवं तहसीलदार यह सारे लोग दोषी हैं और पूरे मामले के मास्टर माइंड हैं, पटवारी की तो अपराध की सहभागिता में भूमिका मात्र है, और जो वास्तविक जमीन मालिक है वह विगत कई वर्षों से बिस्तर में बीमार पड़ा है
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उसके द्वारा कोई भी दस्तावेज तैयार नहीं किए गए हैं और नाही इस बात की उसको कोई जानकारी थी, जिसका सही लाभ तो एक बड़े व्यवसायी, एक वकील, एसडीएम एवं तहसीलदार और पटवारी ने लिया है जिसको लेकर वकील की भूमिका यह रही है कि उसने अपने कानूनी दांव पर जिंदा व्यक्ति को मृत बनाने का षड्यंत्र एसडीएम एवं तहसीलदार के समक्ष रचा है इसमें तहसीलदार एसडीएम ने भी सहयोग किया है उसके पीछे मंशा यह रही कि वकील साहब ने व्यवसायी से लगभग ₹4000000/- (चालीस लाख) रुपये प्राप्त कर चुके हैं उन्हें उक्त 4000000/- रुपये ना लौटाना पड़े इसी वजह से उन्होंने एसडीएम तहसीलदार से अपराधिक सांठगांठ कर और पटवारी को विश्वास में लेकर पैसा देकर यह सब काम करवाया है जिसके पीछे महत्वपूर्ण भूमिका एसडीएम पटवारी और साथ ही साथ तहसीलदार की है पुलिस भी जानबूझकर वकील और एसडीएम एवं तहसीलदार को बचाने का पूरा पूरा प्रयास कर रही है क्योकि प्लान के तहत पुलिस के आला अफसरों तक मोटी रकम पहुंचा दी गई है इसलिए पुलिस ने टारगेट पटवारी को किया है लेकिन पटवारी का जो मास्टर माइंड है उसको क्यों छोड़ दिया यह एक विचारणीय बिंदु है
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इसमें अगर नए सिरे से और पूरी पारदर्शिता के साथ जांच होती है तो पटवारी के साथ - साथ तहसीलदार एवं एसडीएम और वकील भी जेल की हवा खा सकते हैं, अब देखना यह है कि यह कब तक संभव है क्योकि वे जल्द ही कानूनी शिकंजे में होंगे क्योंकि पुलिस के ऊपर भी वरिष्ठ अधिकारियों की निगाहें टिकी हुई हैं जिसमें प्रकरण की विवेचना अधिकारी पर भी तत्काल गाज गिरने की संभावना बताई जा रही है क्योंकि उसकी उक्त मामले को कमजोर करने के पीछे या मंशा है कि किसी भी तरह से शहर का प्रतिष्टित व्यवसायी और वकील एसडीएम एवं तहसीलदार कानून के शिकंजे में ना आएं क्योंकि उन्होंने उनसे मोटी रकम का सौदा कर चुका है इस बात की जानकारी पुलिस मुख्यालय और संबंधित एजेंसियों को दे दी गई है अब देखना यह है कि वकील एसडीएम एवं तहसीलदार भी कानून के कटघरे में जल्दी ही नजर आएंगे एवं नामांतरण के नाम पर जीवित व्यक्ति को मृत करने वाले षड़यंत्रकारी अब जेल की हवा खाएंगे।
संवाददाता ओमप्रकाश ( मध्य प्रदेश )
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