बांसवाड़ा: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार के लॉकडाउन जैसे कदम सहयोगी साबित हो रहे है। लेकिन इससे उपजे हालात का असर सभी वर्गों पर व्यापक पड़ रहा है। इन दिनों खेतों में रबी की फसल तैयार है। लेकिन श्रमिक उपलब्ध नहीं हो पा रहे है। इसी बीची बुधवार को अचानक हुई बारिश ने किसानों की चिंता को और बढ़ा दिया है। इससे इस बार बाजार में नया गेहूं देरी से आने की संभावनाएं है। जिले में इस बार रबी में एक लाख 36 हजार हैक्टेयर में बुवाई की गई थी। इसमें एक लाख एक हजार 136 हैक्टेयर में गेहूं, करीब 15 हजार हैक्टेयर में मक्का तथा शेष में चना बोया था। माही बांध के नहरी तंत्र से 80 हजार हैक्टेयर तथा असिंचित इलाकों में सिंचाई के वैकल्पिक संसाधनों से किसान खेतों में सिंचाई करते है। बीते मानसून में व्यापक वर्षा होने और जलस्रोतों में पानी उपलब्धता को देखते हुए किसानों ने बड़ी उम्मीद से गेहूं बोया। दिनरात मेहनत के बाद अब खेतों में फसल तैयार हो गई है। लेकिन कोरोना के साथ बारिश के कारण किसानों के चेहरों पर चिंता छा गई है।अचानक बारिश से खड़ी फसलें भीगी: बुधवार दोपहर को जिले में अचानक बारिश हो गई। सुबह 10 बजे बाद से हल्के बादल छाए और दोपहर 12 बजे बूंदाबांदी शुरू हुई। यह कुछ ही देर में तेज बारिश में तब्दील हो गई। बादलों की गडगड़़ाहट के साथ हुई। तेज बारिश ने खेतों में खड़ी गेहूं की कटी हुई फसल भीग गई। तेज हवाएं चलने से कई जगह फसल आड़ी भी हो गई। ग्रामीण इलाकों में फसल को बचाने के लिए किसानों ने कई जतन किए। कहीं कटी फसलों को तिरपाल से ढका गया तो कहीं खड़ी फसलें बारिश के कारण भीगकर झूक गई। इधर, कृषि विस्तार उप निदेशक बीएल पाटीदार ने बताया कि जिले में एक लाख से अधिक हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी। कुछ किसानों से कटाई के लिए श्रमिक नहीं मिलने की जानकारी मिली है। अचानक हुई बारिश से खेतों में कटी व खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
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