खजुरिया श्याम के दरबार में उमड़ा श्रद्धा का ज्वार
भीलवाड़ा जिले के गोवलिया ग्राम पंचायत के खजुरिया गांव में स्थित मेवाड़ के प्रसिद्ध देव श्री खजुरिया श्याम के दरबार में श्रावण के महीने में शनिवार को दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा ।
मेवाड़ भर में जन आस्था का केंद्र श्रीखजुरिया श्याम के दरबार में श्रावण माह के शनिवार के अवसर पर श्रद्धालु गण सुबह से ही दर्शनों के लिए परिसर में पहुंचने लगे श्रद्वालुगण सुबह से हो रही रिमझिम बारिश के मध्य में लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर दर्शनों की बारी की इंतजार करते रहे तथा जेसे ही दर्शनो का अवसर मिला तो जयकारो से पुरा परिसर गुंज उठा। मंदिर परिसर में खजुरिया श्याम की जय के जयघोष अनवरत रूप से श्रद्वालुओं के द्वारा लगाए जाने से पद यात्रा करके पहुचने वाले श्रद्वालुओं की थकान जयकारो को सुनते ही काफुर हो जाती है। शनिवार को करीबन 15 से 20 हजार के मध्य श्रद्धालुओं ने आस्था के केंद्र में दर्शनों का लाभ लिया। इस अवसर पर श्रीखजुरिया श्याम भेरूनाथ सेवा समिति के कार्यकर्ताओ ने व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में सहयोग करते है
श्रद्धालु दूध, दही व तिल्ली का तेल करते हैं अर्पित
मेवाड़ भर में आस्था का केंद्र श्री खजुरिया श्याम दरबार में प्रतिदिन दर्शनार्थियों का ताता लगा रहता है वहीं शनिवार, रविवार तथा जागरण व अन्य धार्मिक दिवसों पर श्रद्धालुओं का जनसेलाब उमड़ पड़ता है। शनिवार रविवार को हजारों की संख्या में पदयात्री दर्शनों के लिए खजुरिया श्याम के दरबार में पहुंचते हैं। खजुरिया श्याम के दरबार में काफी संख्या में किसान एवं पशुपालक भी दर्शनों के लिए पहुचते हैं जिनमें कई किसान व पशुपालक अपनी मन्नत व कामना पूरी होने पर पशुओं का दूध दही तथा तिल्ली का तेल दरबार में चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में समिति की ओर से काउण्टर लगा कर बारी बारी से श्रद्वालुओं को दही का प्रसाद व नारियल, मिश्री व मावे के मिश्रण से निर्मित विशेष प्रसाद का भी वितरण होता है। मंदिर परिसर में चूरमे के प्रसाद का वितरण होता है जो की तिल्ली के तेल का से बना होता है। श्रद्वालुगण प्रसाद को यहा पर किसी बर्तन में नहीं लेकर मात्र हाथो में ही प्रसाद को ग्रहण करते है तथा चडाया गया प्रसाद को दरबार में ही समाप्त करने की मान्यता है।
खुले में रखे हुए हैं सैकड़ो की सख्या में बर्तन
खजुरिया श्याम के दरबार में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सैकड़ो की सख्या में छोटे बर्तनो से लेकर बडे बडे बर्तन टीनशेड के नीचे खुले में रखे हुए हैं जिन्हें श्रद्धालु उपयोग के बाद साफ सफाई करके पुन: टीन शेड के नीचे रख देते हैं। बर्तनों को लेकर कई प्रकार की मान्याताए व दंतकथाएं आज भी प्रचलित है। श्रद्वालुओं की प्रगाढ आस्था के कारण खुले में रखे हुए बर्तनों में कभी भी एक चम्मच तक कम नहीं पड़ता है। श्रद्धालुओं के सामान में भूल से भी कोई बर्तन साथ में चला जाए तो श्रद्धालु ससम्मान क्षमा-याचना करते हुए बर्तनों को पुन: खजुरिया श्याम के दरबार में रखने के लिए पहुंच जाते हैं।
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