गजल पुस्तिका उम्मीद-ए- वफा का विमोचन, हुई काव्य गोष्ठी
- स्व. रिंद बनारसी के पुत्र को मिला स्व. मुनीर बख्श आलम तृतीय स्मृति सम्मान
- आलम ने किया यथार्थ गीता का ऊर्दू अनुवाद, थे सामाजिक समरसता के प्रतीक
सोनभद्र: असुविधा परिवार, राष्ट्रीय संचेतना समिति एवं शहीद प्रबंधन स्थल की ओर से रविवार को नगर के लोक निर्माण विभाग के संघ भवन में काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यहां अतिथियों ने ऊर्दू अदब के प्रख्यात शायर स्व. रिंद बनारसी की गजल पुस्तिका उम्मीद-ए-वफा का विमोचन किया। रिंद बनारसी के पुत्र जुल्फेकार हैदर खां को स्व. मुनीर बख्श आलम तृतीय स्मृति सम्मान दिया गया। उन्हें स्मृति चिह्न, प्रमाण पत्र व नकद धनराशि दी गई। यहां अतिथियों व कवियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर, मुख्य अतिथि डा. अर्जुन दास केसरी, नरेंद्र नीरव व डा. वीपी सिंगला ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन जगदीश पंथी ने किया। यहां मुख्य अतिथि ने कहा कि स्व. मुनीर बख्श आलम ने यथार्थ गीता का ऊर्दू अनुवाद किया। वे सामाजिक समरसता के प्रतीके थे। अजय शेखर ने कहा कि आलम के संदेश को लोगों तक पहुंचाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम आयोजक रामनाथ शिवेंद्र ने मुनीर बख्श आलम व रिंद बनारसी से जुड़ी स्मृतियों को सुनाया। कहा कि असुविधा परिवार आगे भी रचनाकारों की पुस्तकों के प्रकाशन का बीड़ा पूरी जिम्मेदारी से उठाएगा। इसके बाद मुनीर बख्श आलम की पुत्री नसीम बेगम, पुत्र खुर्शीद आलम, डा. कमरुद्दीन आलम को भी सम्मानित किया गया। प्रथम सत्र के समापन के बाद द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवि नरेंद्र नीरव, वीपी सिंगला, प्रद्युम्न त्रिपाठी, इसरार अहमद, अशोक तिवारी, राकेश शरण मिश्रा, दिव्या राय, कौशल्या चौहान, अनुपम वाणी, प्रभात सिंह चंदेल, सराेज कुमार सिंह, विकास वर्मा, अब्दुल हई, ईश्वर विरागी, दिलीप सिंह दीपक आदि ने काव्य पाठ किया। इस मौके पर तमाम लोग मौजूद रहे।
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