संस्कृत भाषा को जीवन में उतारने का संकल्प - डाॅ० रामभूषण बिजल्वाण।
देहरादून। संस्कृत भारती देहरादून शाखा के तत्वावधान में दून विश्वविद्यालय परिसर में पंच दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का भव्य शुभारंभ आज दिनांक 28 अप्रैल 2025 को सायं 5 बजे संपन्न हुआ।
शिविर की जानकारी डाॅ० रामभूषण बिजल्वाण ने दी।
शिविर का उद्देश्य संस्कृत भाषा की मधुरता,सरलता और संवाद क्षमता का अनुभव कराना तथा संस्कृत को जनजीवन में पुनः प्रतिष्ठित करना है।
शिविर का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ० श्री रामभूषण विजल्वाण जी ने संस्कृत के महत्व और इसकी सर्वसमावेशी प्रकृति पर प्रकाश डाला।
डॉ बिजल्वाण ने कहा कि जिस प्रकार से शरीर के लिए प्राण आवश्यक है ठीक उसी प्रकार एक सव्य समाज के लिए संस्कृत आवश्यक है।
मुख्य अतिथि श्री गौरव शास्त्री प्रांत संगठन मंत्री ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नही अपितु भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
विशिष्ट अतिथि श्री नागेन्द्र दत्त व्यास जी ने संस्कृत को संवाद की भाषा बनाने पर बल दिया।
शिविर के संचालक माधव पौडेल जी ने पांच दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
प्रारंभिक प्रस्तावना डॉ. प्रदीप सेमवाल द्वारा दी गई, जिन्होंने शिविर की आवश्यकता और उद्देश्य को विस्तार से समझाया। 
अतिथियों का परिचय डॉ.आनन्द जोशी ने कराया तथा धन्यवाद ज्ञापन धीरज मैठाणी ने किया।
इस अवसर पर श्वेता रावत,दून विश्वविद्यालय छात्र प्रमुख; वैभव साक्षी (डोईवाला खंड सह संयोजिका); बीना पुरोहित (सह प्रचार प्रमुख); परितोष (सहछात्र प्रमुख); तथा संस्कृत प्रेमी लीजा एवं नीना जोशी,आकाश शर्मा, कनिका, दिव्यांशु, तथा ऋतु जैन की सक्रिय सहभागिता रही।
संस्कृत संभाषण शिविर में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में छात्र, शोध छात्र तथा संस्कृत प्रेमी उपस्थित रहे।
शिविर प्रतिदिन सायं 5 बजे से 7 बजे तक आयोजित होगा।
प्रगति मीडिया से सुनील जुयाल की रिपोर्ट।
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