शाहजहांपुर जेल में मकर संक्रांति के पर्व पर विशेष तैयारी की गई एवं मकर संक्रांति का पर्व पूरे परंपरागत तरीके से धूमधाम से मनाया गया. प्रातः काल ही सभी बंदियों को यह अवगत करा दिया गया कि सभी लोग प्रातः उठकर शीघ्र ही स्नान आदि करके पूजा पाठ करेंगे एवं सभी लोग मिलकर भजन कीर्तन आदि करके मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का विशेष महत्व है।मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है?मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा कई धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारणों से जुड़ी हुई है। खिचड़ी को सूर्य और शनि गृह से जुड़ा हुआ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन खिचड़ी खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। खिचड़ी दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर बनती है, जो संतुलित और पौष्टिक आहार है। सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा देने वाला भोजन माना जाता है। खिचड़ी के साथ तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है, जो पाचन और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान करना बहुत शुभ माना जाता है। गंगा स्नान और खिचड़ी दान का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी है।
तदनुसार सभी बंदियों ,अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए चावल, दाल एवं विभिन्न सब्जियों से खिचड़ी तैयार की गई। धनियां ,टमाटर एवं हरी मिर्च की स्वादिष्ट चटनी तैयार की गई तथा कारागार में ही उत्पादित विभिन्न प्रकार की सब्जियों से सलाद तैयार किया गया।
जेल अधीक्षक मिजाजी लाल के नेतृत्व में सभी अधिकारियों कर्मचारी एवं सभी महिला एवं पुरुष बंदियों ने एक स्थान पर पंगत में बैठकर खिचड़ी भोज किया।सभी बंदियों को अधिकारियों व कर्मचारियों ने पंगत में बिठाकर खिचड़ी,चटनी व सलाद परोस कर खिलाया।तथा अधिकारियों व कर्मचारियों को बंदियों ने खिचड़ी,चटनी व सलाद परोस कर खिलाया।
मकर संक्रांति मनाने के पीछे एक और पौराणिक कथा प्रचलित है उसके अनुसार मकर संक्रांति त्यौहार से जुड़ी एक कथा बताती है कि जब पृथ्वी पर असुरों का आतंक काफी बढ़ गया था ।तब मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का संहार किया और सभी को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। कहते हैं भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया।
मकर संक्रांति मनाने के पीछे जो भी कारण हों ।यह एक ऐसा त्यौहार है जो की किसी भी प्रकार से मानवता के लिए नुकसानदेह नहीं है। इस पर्व पर स्नान एवं दान एक अच्छा कार्य है जिससे कि शरीर शुद्ध होता है और दान से समाज सेवा और गरीबों की सहायता होती है ।इसी प्रकार खिचड़ी एक ऐसा भोजन है जो हमारे शरीर के लिए स्वास्थ्य वर्धक है और उससे अत्यधिक धनराशि भी खर्च नहीं होती। इस त्यौहार को मनाने में किसी प्रकार से मानव जाति अथवा पृथ्वी या पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है। ऐसे त्योहारों को विशेष रूप से मनाए जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कारागार में ऐसे त्योहारों को मनाने के लिए विशेष तैयारी की जाती हैं ताकि बंदी भी तनाव और अवसाद से दूर रहें एवं वह समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को जेल में आने के बाद भी निभा सके और जनमानस से जुड़े रहकर अपने में सुधार कर सकें।
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