सोनभद्र में पर्यटन विकास कब होगा?
-दीपक कुमार केसरवानी
-मऊ एवं शिवद्वार के संग्रहालय में बंद ताले को देखकर लौट जाते हैं पर्यटक।
-विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटक है मायूस।
-पर्यटकों के आने से राजस्व में होगी वृद्धि।
-सोनभद्र को पर्यटन जनपद घोषित करने की मांग।
सोनभद्र-बिहार- झारखंड- मध्य प्रदेश- छत्तीसगढ़ की राजनैतिक सीमाओं से घिरा उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर अवस्थित सोनभद्र जनपद भारत का एकमात्र अनूठा एवं
भूतात्विक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, विरासतों से भरपूर जनपद होने के बावजूद आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर इन स्थलों पर आने वाले पर्यटक मायूस होकर लौट जा रहे हैं।
इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-"विंध्याचल की पहाड़ियों में अवस्थित सोनभद्र जनपद का भूतात्विक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व आदिकाल से आधुनिक काल तक रहा है।
एक अरब 60 करोड़ वर्ष प्राचीन सलखन के फॉसिल्स जहां एक ओर समुद्र में जीवन के आरंभ होने का परिचायक है, वही 10000 वर्ष से अधिक प्राचीन आदिमकालीन मानव द्वारा चित्रांकित गुफाचित्र मानव जीवन के विकसित होने के प्रत्यक्ष साक्षी है। इस जनपद मे लघु भारत की छवि देखी जा सकती है, जहां 130 किलोमीटर के परिधि में पर्यटन के नजरिए से विकसित होने वाले सभी स्थल विद्यमान है, साथ ही साथ आदिम गुफाचित्र कलाकारों के वंशधर आदिवासियों द्वारा प्राचीन साहित्य, कला, संस्कृति, भाषा इनके पास संग्रहित है"।
आजादी के बाद से दुर्भाग्य बस आज तक उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग इस जनपद में अवस्थित आदिमानव द्वारा चित्रांकित गुफाओं, ऐतिहासिक किलो, मंदिरों, मठो का संरक्षण नहीं कर पाया है और नहीं पर्यटन विभाग द्वारा किसी स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।
उत्तर प्रदेश शासन के तमाम प्रयासों के बावजूद इन स्थलों का संरक्षण, संवर्धन, पर्यटन विकास की शुरुआत समुचित रूप से नहीं हो पायी है।
भूरातात्विक, पुरातात्विक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण संवर्धन पर्यटन विकास के क्षेत्र में कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के प्रयासो का प्रतिफल यह रहा की 8 अगस्त 2002 को तत्कालीन जिला अधिकारी भगवान शंकर ने सोनभद्र फॉसिल्स पार्क का उद्घाटन करके सोनभद्र जनपद में पर्यटन की नीव रखी थी। तब से लेकर आज तक यह स्थल भी पर्यटन स्थल के रूप में नहीं विकसित हो पाया है।
जनपद के ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा शिवद्वार एवं मऊ में स्थलीय संग्रहालय की स्थापना के साथ-साथ प्रकृति के सहारे बिखरे तमाम ऐतिहासिक अवशेषों को संग्रहालय में संग्रहित किया गया।
लेकिन बजट के अभाव में यह दोनों संग्रहालय अव्यवस्था का शिकार है इसमें संग्रहित मूर्तियों के चोरी चले जाने का डर बना हुआ है।
संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य सोनभद्र की संस्कृति, साहित्य, कला से पर्यटकों को परिचित कराना था लेकिन वर्तमान समय में इन स्थलों पर आने वाले पर्यटक संग्रहालय में बंद ताले को देखकर मायूस होकर लौट जा रहे हैं।
पर्यटन विभाग द्वारा जनपद के ऐतिहासिक, पुरातात्विक, स्थलों पर बोर्ड तो लगवा दिये गये है लेकिन इनकी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था संबंधित विभागों द्वारा नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण लोग इन स्थलों पर पहुंचकर सांस्कृतिक विरासत को क्षति पहुंचा रहे हैं।
स्थानीय नागरिको उत्तर प्रदेश शासन से यह मांग किया कि सोनभद्र जनपद को पर्यटन जनपद के रूप में मान्यता प्रदान की जाए और यहां पर अवस्थित स्थलों को संरक्षण प्रदान करते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए यहां पर देसी- विदेशी पर्यटकों का आगमन होगा और राजस्व में वृद्धि भी होगी।
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