लाना चैता पंचायत में पशुओं में फैला खुर-मुंह का रोग इस रोग से पशुओं की मृत्यु हो रही है (Dr Amit Verma Veterinary Officer Vety Hospital Nohradhar ) ने इस रोग की पूरी जानकारी दी |
उपचार
- रोगग्रस्त पशु के पैर को नीम एवं पीपल के छाले का काढ़ा बना कर दिन में दो से तीन बार धोना चाहिए।
- प्रभावित पैरों को फिनाइल-युक्त पानी से दिन में दो-तीन बार धोकर मक्खी को दूर रखने वाली मलहम का प्रयोग करना चाहिए।
- मुँह के छाले को 1 प्रतिशत फिटकरी अर्थात 1 ग्राम फिटकरी 100 मिलीलीटर पानी में घोलकर दिन में तीन बार धोना चाहिए। इस दौरान पशुओं को मुलायम एवं सुपाच्य भोजन दिया जाना चाहिए।
- घाव पोटाश ओर फिटकरी के धोने के बाद ज़िंक ऑक्साइड (ZnO) और ग्लिसरीन का पेस्ट मुह के जख्म मे लगाएं
मुख्य लक्षण
- प्रभावित होने वाले पैर को झाड़ना (पटकना)
- पैरो में सूजन (खुर के आस-पास)
- लंगड़ाना
- अल्प अवधि (एक से दो दिन) का बुखार
- खुर में घाव होना एवं घावों में कीड़ा (Maggots) हो जाना
- कभी-कभी खुर का पैर से अलग हो जाना
- मुँह से लार गिरना
- जीभ, मसूड़े, ओष्ट आदि पर छाले पड़ जाते हैं, जो बाद में फूटकर मिल जाते है
- उत्पादन क्षमता में अत्यधिक ह्रास
- बैलों की कार्य क्षमता में कमी
- प्रभावित पशु स्वस्थ्य होने के उपरान्त भी महीनों हांफते रहता है
- बीमारी से ठीक होने के बाद भी पशुओं की प्रजनन क्षमता वर्षों तक प्रभावित रहती है।
- शरीर के रोयें तथा खुर बहुत बढ़ जाते हैं
- गर्भवती पशुओं में गर्भपात की संभावना बनी रहती है।
टीकाकरण
इलाज से बेहतर है बचाव के सिद्धान्त पर छः माह से ऊपर के स्वस्थ पशुओं को खुरहा-मुँहपका रोग के विरूद्ध टीकाकरण करवाना चाहिए।
रोकधाम साल में दो बार FMD की निशुल्क टीका कारण होता है | उसे निश्चित लगाए बीमार पशु को स्वस्थ पशुओ से अलग रखे । बीमारी आने पर तुरंत अपने जगह के पशु पालक अधिकारी या पशु चिकित्सा को बताए । प्रगति मीडिया संवाददाता कपिल देव
इलाज से बेहतर है बचाव के सिद्धान्त पर छः माह से ऊपर के स्वस्थ पशुओं को खुरहा-मुँहपका रोग के विरूद्ध टीकाकरण करवाना चाहिए।
रोकधाम साल में दो बार FMD की निशुल्क टीका कारण होता है | उसे निश्चित लगाए बीमार पशु को स्वस्थ पशुओ से अलग रखे । बीमारी आने पर तुरंत अपने जगह के पशु पालक अधिकारी या पशु चिकित्सा को बताए । प्रगति मीडिया संवाददाता कपिल देव
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