पखांजुर- मामला है कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र का जहाँ शासन प्रशासन के नियम सिर्फ कागजों में सिमटा दिखाई देता है आपको बता दे कि इस क्षेत्र में एक तो अस्पताल में सुविधा की कमी है जिससे आज तक कोई लोगो की जान अस्पताल के बाहर अस्पताल में रिफर के दौरान हो गई,वही जो लोगो का इलाज़ स्थानीय डॉक्टरों द्वारा किया जाता है उनको दवाई और डोज लिखा जाता है वहाँ मेडिकल में काम कर रहे कम पढेलिखे या फिर मेडिकल संचालक के दवाई का कोई ज्ञान नही है ऐसे लोगों के भरोसे लेकर बच्चे,बूढे, गर्ववती महिलाओं को खिलाकर जान जोखिम में डाल जाता है,
विभाग की अनदेखी- परलकोट क्षेत्र के मेडिकल संचालक द्वारा किन लोगों के द्वारा डॉक्टरों के लिखे दवाई डोज को दिया जाता है एक जाँच का विषय है?? वहीं H1 सिड्यूल के हाई एंटीबायोटिक दवाओं को किन डॉक्टरों द्वारा लिखा गया किसको दिया गया ये जांच का विषय है? जिसकी जांच के नाम पर संबंधित अधिकारियों द्वारा खाना पूर्ति तो की जाती है पर जांच के नाम पर लोगो का कहना है कमीशनखोरी लीपापोती कर दी जाती है??
संबंधित अधिकारियों द्वारा दवाओं के थोक विक्रेता लाइसेंस वाले किन किन मेडिकल में दवाओ को बेचा गया जानकारी पर भी लोगो का कहना है कि खानापूर्ति की जाती है जो कमीशनखोरी पर फल फूल रहा है, यही वो वजह है कि युवाओं को नशीली दवा आसानी से क्षेत्र में उपलब्ध हो जाती है???
राम भरोसे लोगो की जान - डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाई और डोज को ग्रामीण एवं अन्य लोग मेडिकल के भरोसे पर लेकर दवाई को बच्चों, बूढ़े,गर्ववती महिला को खिला दिया जाता है, अब समझने की बात ये है कि जो दवाई डॉक्टरों द्वारा लिखा गया वो तो सही है पर जो दवाई मेडिकल से दिया गया जो फार्मासिस्ट नही है वैसे लोगो को दवाई की कितनी जानकारी है ये सवाल है?? क्या किसी दवाई के गलत होने पर लोगो की जान को खतरा नही हो सकता ये सवाल है??
क्षेत्र में धरल्ले से चल रहा ऐसे गोरखधंधे पर अब तक शासन प्रशासन खामोश क्यो संबंधित अधिकारियों द्वारा अब तक क्षेत्र के लोगों की जान की परवाह क्यो नही किया गया लोगो मे ये सवाल है??
कार्यवाही के नाम पर लीपापोती की आशंका?- बांदे स्थित मेडिकल स्टोर में अनियमितता पर कई खबरे प्रकाशित हुई पर कार्यवाही के नाम पर विभाग कुंभकर्ण की नींद में,
शायद अब शासन प्रशासन को किसी बड़े दुर्घटना का इंतज़ार है????
COMMENTS