किसी ने नहीं सोचा था कि श्मशान घाट में जगह नहीं बचेगी और दाह संस्कार के लिए भी लोगों को दर-दर भटकना होगा | लेकिन आज का सच यही है । हर ओर चिताऐ जल रही है और देश मातम में डूबा हुआ है ।
श्मशान घाटों पर जगह कम पड़ रही है , क्योंकि हर पल किसी न किसी की जान जा रही है । अब तो स्थिति और भी विकट है फुटपाथ पर भी चिताऐ जल रही है । घाटो पर लोगों की लंबी लाइनें लगी हुई है इस महामारी का परिणाम यह हुआ कि संकट की घड़ी में लोग श्मशान घाटों पर अपने स्वजनों की अंतिम यात्रा के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं । देश में हर तरफ व्याप्त चितकारो की आवाजों ने समाज मैं एक आपात का माहौल बना दिया । हॉस्पिटलों के सामने रोते बिखलते परिजनों का करुण कुर्दन हमारी लाचारी और विवशता को बयान करने के लिए पर्याप्त है । और इस बात की ओर संकेत है कि हम विश्वगुरु बनने का भले ही दम रखते हो परंतु स्थिति इसके विपरीत है । सरकार की गंभीरता इन्हीं तथ्यों से स्पष्ट है कि वह हमारे लिए कितनी गंभीर एवं सजग है । आज हमारा देश आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव मे हलात दिखाई दे रहा है । इसलिए इस संकट के समय में हर इंसान को आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा ।अपनी सुरक्षा अपने हाथ है , उसे आप अपनाएं अपनी सुरक्षा करें अपने परिवार की सुरक्षा करें। अपना एवं परिवार के 18 वर्ष से अधिक सदस्यों को वैक्सीनेशन कराएं । 45 से ऊपर के लोगों ने वैक्सिंग को मजाक समझा बहुत से लोगों ने टीका नहीं लगवाया उसका नतीजा अब हमें भुगतना पड़ रहा है आज की सरकार की गाइडलाइन की पालना नहीं कर पा रहे और सरकार को धोखा दे रहे हैं गांव व शहरों में जहां भी देखो वहां भीड़ नजर आती है गांव में तो मास्क का उपयोग नहीं करते मास्क का उपयोग करें ।
जगमाल सिंह अलवर
COMMENTS