भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संकट के बीच जारी पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) में रैलियों को लेकर आज बड़ा फैसला हो सकता है.
चुनाव आयोग (Election Commission) ने विधान सभा चुनाव प्रचार पर चर्चा के लिए आज (16 अप्रैल) दोपहर 2 बजे कोलकाता में सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण ( Increasing infection of covid-19 ) के बीच चुनाव प्रचार को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है.
गुरुवार की सुबह जब दोनों प्रमुख दल रैली-रैली खेल रहे थे, शमशेरगंज के कांग्रेस प्रत्याशी रियाज़ुल हक ( Congress candidate Riyazul Haque ) ने कोविड-19 से दम तोड़ दिया।
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क्या आठ चरण में चुनाव ज़रूरी थे?
चुनाव आयोग तो जरूरी ही मानता था, तभी तो उसने ऐसा किया। पर सवाल तो बनता ही है न कि केरल में एक चरण और बंगाल में आठ चरण में मतदान क्यों? अगर बंगाल की आबादी केरल से तीन गुनी है तो मात्र तीन चरणों में मतदान क्यों नहीं। ( Why not vote in three phases. ) बडी। फिर, और बड़ी। और, फिर उससे भी बड़ी रैली। बेपर्दा चेहरे! न नेताओं के चेहरे पर मास्क। न रैलीबाज़ भीड़ के चेहरे पर मास्क ( Mask on the face of the rally crowd )।
रैलियां बड़ी होती गईं। कोविड-19 का शिकंजा भी बड़ा होता गया।
चुनाव के नशे में गाफिल राज्य में कोविड के प्रति लापरवाही को लेकर दो दिन पहले हाईकोर्ट की लताड़ उचित ही थी। अब चुनाव आयोग भी जाग गया है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने शुक्रवार को सर्वदलीय मीटिंग बुलाई है। अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मीटिंग में वर्चुअल रैलियों को बढ़ावा देने की बात हो सकती है। चलिए, देर आयद, दुरुस्त आयद।
इस बीच आयोग के प्रेक्षकों के साथ मुख्य चुनाव अधिकारी की एक बैठक गुरुवार को हुई। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक और कल की सर्वदलीय बैठक के आधार पर ही आयोग चुनाव प्रचार के तरीकों और समय में किसी बदलाव की घोषणा करेगा।
इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि उनकी पार्टी अब मतदान के बाकी चरणों के लिए बड़ी रैलियों की जगह नुक्कड़ सभाएं करेगी। एक दो नहीं 6300 सभाएं। कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ ने लिखा है कि भाजपा नेता गृहमंत्री की इस रणनीति को कार्पेट बमिंग करार दिया है। अमित शाह का मानना है कि बड़ी-बड़ी रैलियों में मतदाता के साथ सीधा जुड़ाव नहीं हो पाता, जब कि छोटी रैलियों में दोनों पक्ष एक-दूसरे को आमने-सामने देख रहे होते हैं।
लेकिन, जिस रणनीति को भाजपाई मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं, टीएमसी नेता उसकी खिल्ली उड़ा रहे हैं। कह रहे हैं कि भाजपा की यह हताशा की रणनीति है। उनकी बड़ी रैलियों में जनता पहुंच ही नहीं रही। इसीलिए नुक्कड़ सभाओं का सहारा लिया जा रहा है।
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