एसयूसीआई (सी) ने पखांजूर में 19 सौ शताब्दी का महान नबम्बर क्रांति की 103 वा दिवस पर विविध कार्यक्रम किया।महान नबम्बर क्रांति का जनक लेनिन एवं विश्व में मजदूर और किसानों की प्रथम सत्ता स्थापित समाजवादी खेमा को सफलतापूर्वक उच्च शिखर पहुंचाए,महान नेता स्टालिन के छाया चित्र पर पर्टी सदस्य ज्योतस्ना अधिकारी ने माल्यार्पण कर रेड सैलूट दिया।तत्पश्चात पर्टी कार्यकर्ता एवं समर्थकों ने माल्यार्पण व फुल चरा कर रेड सैलूट दिये हैं।कॉमरेड पथिक ने सभा सम्भोदित करते हुए कहां हैं कि नबम्बर क्रांति का जनक लेनिन है जिन्होंने नबम्बर की क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सर्वहारा वर्गों की समाजवादी क्रांति सफल किया ।सन 1917 की रूस की क्रांति विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है।नबम्बर क्रांति की चोट के करण रूस से ज़ार के स्वेच्छाचारी शासन का अन्त हुआ तथा रूसी सोवियत संघात्मक समाजवादी गणराज्य की स्थापना हुई। पहली क्रांति के फलस्वरूप सम्राट को पद-त्याग के लिये विवश होना पड़ा तथा एक अस्थायी सरकार बनी। महान नबम्बर की क्रान्ति के फलस्वरूप अस्थायी सरकार को हटाकर बोलसेविक सरकार (कम्युनिस्ट सरकार) की स्थापना की गयी।1917 की रूसी क्रांति बीसवीं सदी के विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही। रूसी क्रांति की व्यापकता अब तक की सभी राजनीतिक घटनाओं की तुलना में बहुत विस्तृत थी। इसने केवल निरंकुश, एकतंत्री, स्वेच्छाचारी, ज़ारशाही शासन का ही अंत नहीं किया बल्कि कुलीन जमींदारों, सामंतों, पूंजीपतियों आदि की आर्थिक और सामाजिक सत्ता को समाप्त करते हुए विश्व में मजदूर और किसानों की प्रथम सत्ता स्थापित की। मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा को मूर्त रूप पहली बार रूसी क्रांति ने प्रदान किया। इस क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था को स्थापित कर स्वयं को इस व्यवस्था के जनक के रूप में स्थापित किया। समाजवादी विचारधारा 1917 के पश्चात इतनी शक्तिशाली हो गई कि 1950 तक लगभग आधा विश्व इसके अंतर्गत आ चुका था।क्रांति के बाद का विश्व इतिहास कुछ इस तरीके से गतिशील हुआ कि या तो वह इसके प्रसार के पक्ष में था अथवा इसके प्रसार के विरूद्ध। क्रांति के पश्चात स्टालिन के नाम का मतलब होता है लौह पुरुष. उन्होंने रूस को इतना ताक़तवर बनाया कि उसने हिटलर की जर्मन सेना को दूसरे विश्व युद्ध में मात दी. वो क़रीब एक चौथाई सदी तक सोवियत संघ के सबसे बड़े नेता रहे.
जब स्टालिन सत्ता में आए तो रूस में ज़्यादातर ज़मीन छोटे-छोटे टुकड़ों के मालिकाना हक़ में बंटी हुई थी. अक्सर अकाल पड़ा करते थे. खेतों में बहुत कम अनाज होता था।
स्टालिन ने खेती का आधुनिकीकरण शुरू किया. उन्होंने तमाम ज़मीन का राष्ट्रीयकरण कर दिया।तीस के दशक का आख़िर आते-आते, सोवियत संघ में ज़मीन का पूरी तरह से राष्ट्रीयकरण हो गया था. अनाज का उत्पादन कई गुना बढ़ गया.
सोवियत संघ का औद्योगीकरण
बीस के दशक में ही स्टालिन ने पंचवर्षीय योजनाओं के ज़रिए देश की तरक़्क़ी के लिए काम करना शुरू कर दिया. वो सोवियत संघ को आधुनिक देश बनाने में जुट गए। लेंगे.
स्टालिन के राज में सोवियत संघ में कोयले, तेल और स्टील का उत्पादन कई गुना बढ़ गया. देश ने तेज़ी से आर्थिक तरक़्क़ी की।सोवियत संघ की टुटने से पुरे विश्व में मजदूर और किसानों की प्रथम सत्ता स्थापित हुई थी उसव्यवस्था पर गंभीर दुषपरिणाम हुआ और आज पुरी दुनिया पूंजीवाद की सम्राज्यवादी शोषण से तड़प रहे हैं ।इस पूंजीवादी तानाशाह,शोषण, जूल्म से मुक्ति के लिए छटपटा रहे हैं ।जिससे मुक्ति के लिए पुरी दुनिया पूंजीवाद विरोधी समाजवादी क्रांति के लिए सर्वहारा के महान नेता कालमार्क्स,लेनिन,स्टालिन, माओसेतुंग शिवदस घोष के विचार से लैस हो रहे हैं।और दुनिया के मजदूर श्रेणी समाजवादी क्रांति के लिए लामबंध हो रहे हैं। देश में हर राज्य में जन आन्दोलन का सैलाब उमर पड़ा हैं। देश की पूंजीवादी परस्त नीतियों से अवाम की हर तबका गंभीर अहत हैं।इस शोषण व्यवस्था को समाप्त किये वगैर अवाम में अमन चैन आम लोगों को नहीं मिल सकता हैं।इसलिए जनता आज सड़के,रेल आदि पर हप्तो से जाम कर आन्दोलन में डटे हैं अनिमेष,प्रदिप,
बिप्लब,अभिमन्यु,जुंई,लक्ष्मी,अनिल,राहुल, चंचल आदि उपस्थित रहे।
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