पटमदा प्रखंड निवासी कुछ प्रवासी मजदूर वैसे भी हैं जो घर-परिवार की चिंता छोड़ कैम्प में मजे से लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। अपने मालिक की ओर से उपलब्ध करायी गयी सुविधाओं से खुश घर उन मजदूरों में घर लौटने की कोई जल्दबाजी नहीं है। पटमदा के पोकलाबेड़ा निवासी वरुण सिंह, विभीषण टुडू, विश्वजीत टुडू, हांगो टुडू व जितेंद्र सिंह समेत दर्जनभर युवकों से बातचीत करने पर बताया गया कि उनलोग क्षेत्र के ही चौंरा निवासी कॉट्रेक्टर भरत महतो के माध्यम से महाराष्ट्र के जालना शहर की सड़क निर्माण कंपनी में मजदूरी कर रहे थे।
जालना स्थित कैम्प में ही वर्तमान में रूके हुए हैं। यहां उनलोगों के लिए मनपसंद भोजन एवं रहने की सुविधा उपलब्ध है। बताते हैं कि कि मुंबई से नागपुर तक बन रहे हाइवे की सड़क निर्माण कार्य हेतु उनलोग करीब एक माह पूर्व जालना पहुंचे हैं। वहां कुछ दिनों तक काम करने के बाद लॉकडाउन हो जाने से काम बंद हो गया। वैसे तो महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों के आंकड़े देखकर खतरा अधिक महसूस होता है, लेकिन उनलोग अपने कैम्प से बिल्कुल भी नहीं निकलते और बाहरी व्यक्तियों के संपर्क में भी नहीं आते हैं, इसलिए चिंता का कोई कारण नहीं है। बताते हैं कि झारखंड सरकार की ओर से घोषित सहायता राशि का लाभ लेने के लिए उनलोगों ने आवेदन भी कर दिया है, ताकि अपने पास कुछ नगद राशि हाथ लगे। मजदूरों में पोकलाबेड़ा के 6, चौंरा के 7, गालूडीह एवं घाटशिला के 12 तथा बंगाल के 75 युवक हैं, जो भरत महतो के अंडर काम कर रहे थे। दूसरी ओर, लावा निवासी डोरेन सिंह व पोकलाबेड़ा के प्रभाष सिंह तमिलनाडु में एक बोरवेल मालिक के यहां काम करने गये हैं। उनलोग भी लॉकडाउन में फंस गए हैं, लेकिन घर लौटने की कोई जल्दबाजी नहीं है और परिजनों से वीडियो कॉलिंग पर प्रतिदिन संपर्क कर रहे हैं।
जालना स्थित कैम्प में ही वर्तमान में रूके हुए हैं। यहां उनलोगों के लिए मनपसंद भोजन एवं रहने की सुविधा उपलब्ध है। बताते हैं कि कि मुंबई से नागपुर तक बन रहे हाइवे की सड़क निर्माण कार्य हेतु उनलोग करीब एक माह पूर्व जालना पहुंचे हैं। वहां कुछ दिनों तक काम करने के बाद लॉकडाउन हो जाने से काम बंद हो गया। वैसे तो महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों के आंकड़े देखकर खतरा अधिक महसूस होता है, लेकिन उनलोग अपने कैम्प से बिल्कुल भी नहीं निकलते और बाहरी व्यक्तियों के संपर्क में भी नहीं आते हैं, इसलिए चिंता का कोई कारण नहीं है। बताते हैं कि झारखंड सरकार की ओर से घोषित सहायता राशि का लाभ लेने के लिए उनलोगों ने आवेदन भी कर दिया है, ताकि अपने पास कुछ नगद राशि हाथ लगे। मजदूरों में पोकलाबेड़ा के 6, चौंरा के 7, गालूडीह एवं घाटशिला के 12 तथा बंगाल के 75 युवक हैं, जो भरत महतो के अंडर काम कर रहे थे। दूसरी ओर, लावा निवासी डोरेन सिंह व पोकलाबेड़ा के प्रभाष सिंह तमिलनाडु में एक बोरवेल मालिक के यहां काम करने गये हैं। उनलोग भी लॉकडाउन में फंस गए हैं, लेकिन घर लौटने की कोई जल्दबाजी नहीं है और परिजनों से वीडियो कॉलिंग पर प्रतिदिन संपर्क कर रहे हैं।
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