निर्भया के चार दोषियों में से तीन ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। फांसी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे निर्भया के दोषियों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। मौत की तारीख नजदीक आते ही एक के बाद एक नई-नई अर्जियां अलग-अलग जगह दाखिल कर ये सभी फांसी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इस बार चार दोषियों में से तीन विनय, पवन और अक्षय ने इंटरनेशनल कोर्ट का रुख किया है।
कुछ विदेशी संस्थाएं इस केस पर लगातार नजर बनाए हुई थीं- एपी सिंह
निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि एनआरआइ और उनकी कुछ संस्थाएं इस केस पर लगातार नजर रखीं हुई थीं। संस्थाओं ने यह मांग की है कि उन्हें इस केस की कापी उन्हें दी जाए, जिसे आइसीजे (इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस) के समक्ष रखा जाए ताकि डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि हम तो भारत की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा रखते हैं लेकिन उन्होंने इसे आइसीजे जाने का निर्णय लिया है।
क्या है अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा 1945 के जून में बनाया गया था। हालांकि इसने अपना काम 1946 के अप्रैल से करना शुरू किया था। बता दें कि यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) के शांति पैलेस में स्थित है।
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