देवघर: प्रभात खबर अखबार का फर्जीवाड़ा देखिए, राजमहल सांसद के लोकसभा में उठाये गए प्रश्न का क्रेडिट दूसरे सांसद को दे दिया!
प्रभात खबर अखबार के देवघर संस्करण के संपादक ने क्या अपनी जमीर से सौदा कर लिया? संपादक और अखबार का नाम लेकर इसलिए यह सवाल पूछा जा रहा है कि प्रभात खबर के देवघर संस्करण के 13 मार्च के अखबार में 'लोकसभा में निशिकांत दुबे के सवाल पर विमानन मंत्री ने दिया जवाब....' शीर्षक से एक खबर छपी है। यह खबर पूर्ण रुप से फर्जी, मनगढंत और किसी सांसद की बनावटी महिमामंडन का उदाहरण है। दरअसल 12 मार्च के लोकसभा की कार्यवाई का रिकॉर्ड प्रभात खबर के फर्जी खबर छापने की पुष्टि करता है। सच्चाई यह है कि यह सवाल राजमहल लोकसभा के झामुमो सांसद विजय हांसदा ने उठाया था। अक्सर नेता किसी और के काम का क्रेडिट खुद लेने की प्रतियोगिता में लगे रहते हैं लेकिन अखबार या मीडिया फर्जी खबर छापने और दिखाने लगे तो मीडिया की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ जाती है। हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब इस अखबार के दामन पर दाग लगा हो, लेकिन किसी एक नेता की मानसिक गुलामी का खामियाजा अगर पाठकों को उठाना पड़े तो सिर्फ पत्रकारिता नहीं बल्कि सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाले लोगों पर भी सवाल उठना शुरु हो जाता है। सवाल सिर्फ नेता को फर्जी क्रेडिट देने का नहीं है बल्कि मामला गलत खबर छापने का भी है।
प्रभात खबर अखबार को गलत खबर छापने के लिए अपने पाठकों से माफी मांगनी चाहिए।
प्रभात खबर अखबार के देवघर संस्करण के संपादक ने क्या अपनी जमीर से सौदा कर लिया? संपादक और अखबार का नाम लेकर इसलिए यह सवाल पूछा जा रहा है कि प्रभात खबर के देवघर संस्करण के 13 मार्च के अखबार में 'लोकसभा में निशिकांत दुबे के सवाल पर विमानन मंत्री ने दिया जवाब....' शीर्षक से एक खबर छपी है। यह खबर पूर्ण रुप से फर्जी, मनगढंत और किसी सांसद की बनावटी महिमामंडन का उदाहरण है। दरअसल 12 मार्च के लोकसभा की कार्यवाई का रिकॉर्ड प्रभात खबर के फर्जी खबर छापने की पुष्टि करता है। सच्चाई यह है कि यह सवाल राजमहल लोकसभा के झामुमो सांसद विजय हांसदा ने उठाया था। अक्सर नेता किसी और के काम का क्रेडिट खुद लेने की प्रतियोगिता में लगे रहते हैं लेकिन अखबार या मीडिया फर्जी खबर छापने और दिखाने लगे तो मीडिया की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ जाती है। हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब इस अखबार के दामन पर दाग लगा हो, लेकिन किसी एक नेता की मानसिक गुलामी का खामियाजा अगर पाठकों को उठाना पड़े तो सिर्फ पत्रकारिता नहीं बल्कि सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाले लोगों पर भी सवाल उठना शुरु हो जाता है। सवाल सिर्फ नेता को फर्जी क्रेडिट देने का नहीं है बल्कि मामला गलत खबर छापने का भी है।
प्रभात खबर अखबार को गलत खबर छापने के लिए अपने पाठकों से माफी मांगनी चाहिए।
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