काकोरी शताब्दी वर्ष पर जेल में वही काव्य गंगा
(कारागार में कवि सम्मेलन संपन्न)
शाहजहांपुर। काकोरी ट्रेन एक्शन के शताब्दी वर्ष के अवसर पर जिला कारागार शाहजहांपुर में कारागार अधीक्षक मिजाजी लाल द्वारा हास्य कवि विजय तन्हा के संयोजन में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कारागार अधीक्षक मिजाजी लाल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में अपर जनपद न्यायाधीश शाहजहांपुर श्री पीयूष तिवारी ने मां सरस्वती को माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कारागार अधीक्षक मिजाजी लाल ने सरस्वती माता एवं शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित करके किया मां सरस्वती की वंदना लखनऊ से पधारी कवियित्री संध्या त्रिपाठी में प्रस्तुत की।
इस अवसर पर साहित्यिक संस्था प्रेरणा परिवार द्वारा "कैसे बरकरार रहे देश की एकता और अखण्डता" विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता कराई गई जिसमें सैकडों बंदियों ने प्रतिभा किया जिसमें श्रेष्ठ लेखन के लिए विभा प्रथम, रमनदीप कौर द्वितीय व
प्रतिपाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया इनके अतिरिक्त 10 अन्य बंदियों को श्रेष्ठ निबंध लेखन पर प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
मंच का संचालन रायबरेली से पधारे प्रख्यात कवि एवं मंच संचालक डा. नीरज पाण्डेय ने किया और कविता पाठ में सिंह गर्जना करते हुए कहा -
इतिहास के पन्नों में आज भी है अपनी कुछ खास ही धाक यहाँ की।
कुर्बानियाँ देके बहादुरों नें रखी ऊँची हमेशा ही नाक यहाँ की।
यहाँ यादें हैं रोशन बिस्मिल की और शान बने अशफाक यहाँ की।
यह शाहजहाँपुर तीर्थ है चन्दन जैसी ही पाक है खाक यहाँ की।।
जेबी गंज खीरी से पधारे वरिष्ठ व्यंग्यकार श्रीकांत सिंह ने इस तरह व्यंग्यवाण चलाते कहा -
दफ्तर में फाइल रखीं, फाइल मांगे दाम।
बिना दाम के हो भला, कैसे कोई काम।।
भगवान श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या धाम से पधारे ओजस्वी कवि दुर्गेश पाण्डेय दुर्लभ ने रचना पाठ में कहा -
ये जो चेहरे पे नूर आया है।
माँ की ममता से तन नहाया है।
सबको झुककर प्रणाम करता हुँ मैं,
मेरी माँ ने मुझे सिखाया है।
बाराबंकी से पधारे हास्य कवि आशीष आनंद ने हंसाते गुनगुनाते यूँ रचना पाठ किया -
ऐसा नहीं मिला कभी वैसा नहीं मिला।
फिर इश्क़ बाद उसके जैसा नहीं मिला।
उपहार में मिली है मुझे पर्स कई बार,
लेकिन किसी भी पर्स में पैसा नहीं मिला।।
लखनऊ से बदायूं कवियित्री संध्या त्रिपाठी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया -
आसमान पर न मुझको फतह चाहिए।
बस जमीं पर ही अपनी जगह चाहिए।
साथ हर पल तेरा मुझको मिलता रहे,
बस जीने की इतनी वजह चाहिए।।
कार्यक्रम संयोजक विजय तन्हा ने हास्य व्यंग्य की रचनाएं सुनाते हुए कहा -
साली ब्यूटी क्वीन हो, मत करना तकरार।
बीवी के संग है मिला, यह अनुपम उपहार।।
बालकवि सुब्रत गुप्ता ने कहा -
एक बने सब नेक बने ऐसा दे हम सबको संदेश।
मेरी माटी मेरा देश मेरी माटी मेरा देश।
कार्यक्रम के समापन पर जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने आगंतुको का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर हजारों बंदियों ने हजारो हजार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कवियों का कविता पाठ सुना एवं उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर जिला विधिक प्राधिकरण सचिव पीयूष तिवारी, डिप्टी जेलर अनिल विश्वकर्मा, सुभाष यादव, सुरेंद्र गौतम, पूनम तिवारी, मयंक चतुर्वेदी, दिनेश मिश्रा व विवेक शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।
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