मेले उत्तराखंड की संस्कृति व सभ्यता की पहचान है
टिहरी।। रानीचौरी में मां कालिंका के मेले का टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने दीप प्रज्वलित कर किया शुभारंभ।।
इस अवसर पर विधायक ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति व सभ्यता की पहचान है,एवं स्थानीय उत्पादों को मेलों में स्टाल लगाकर बिक्री करने के साथ-साथ पूरे प्रदेश में उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों का प्रचार प्रसार भी होता है
मेले के संयोजक सुशील बहुगुणा ने कहा कि मेले में स्थानीय लोगों को अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर प्रदान होता है।
मेले में स्थानीय लोगों की सहभागिता अधिक होने से पलायन पर भी रोक लगेगी इस प्रकार के मेले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अपने अपने क्षेत्र के हिसाब से होने चाहिए एवं मेलों में अधिक से अधिक उत्तराखंड के उत्पादों के स्टॉल लगने चाहिए और मेलों में अधिक से अधिक खरीदारी होनी चाहिए।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त अध्यापक गिरिजा प्रसाद बहुगुणा एवं टीकाराम बहुगुणा ने कहा कि मेले हमारे समय में एक दूसरे के हाल-चाल जानने के केंद्र होते थे एवं जो हमारी बहन बेटियां अपने ससुराल में रहती थी उनकी मेलों में सबसे मुलाकात हो जाती थी,जिससे वह अपने सभी एक दूसरे के हाल-चाल जानते थे।गिरिजा प्रसाद बहुगुणा ने कहा कि जिस महान आत्मा पुष्पा देवी की पुण्यतिथि पर या मेला शुरू हुआ है।उन्होंने समाज में शराब बंदी आंदोलन से लेकर जंगल बचाने जैसे आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है
इस अवसर पर प्रधान किरन कोठारी, प्रधान डारगी किरन नेगी, प्रधान साबली सुधीर बहुगुणा आदि मौजूद रहे।
जौनपुर की लोक संस्कृति में मेले थौलु की एक अलग पहचान के साथ आज वैशाखी का अंतिम मेला थत्यूड़ ढाणा में धूमधाम से संपन्न हुआ।
थत्युड़।। मेले में लोगों ने मेले का जमकर लिया आनंद एवं खूब खरीदारी भी की ।
जौनपुर क्षेत्र में बैशाखी पर्व के आरम्भ के बाद एक माह तक विभिन्न क्षेत्रो में आयोजित होने वाले बैसाखी का अंतिम मेला थत्यूड डांणा में जौनपुरी लोक नृत्य के साथ समाप्त हुआ
मेले में दूरदराज क्षेत्र से भारी संख्या में बच्चे ,महिलाए पुरुषों ने बढ़ चढ़ कर प्रतिभा किया।
मेले में महिलाओं ने जौनपुर की लोक संस्कृति पर आधारित रासों,तांदी की सुन्दर प्रस्तुती के साथ आनंद उठाया,साथ ही मेले में लगी दुकानों से लोगो ने जमकर खरीदारी की है।
स्थानीय मेला समिती के अध्यक्ष मुकेश रावत का कहना है कि मेले में जौनपुर की लोक संस्कृति एक धरोहर है ।
सांस्कृतिक मेले हम सबके लिए एक धरोहर के रूप में सीख है। जिसमें नई पीडी को आगे आकर मेले थौलु को धरोहर के रूप संरक्षित व सर्बधन रखने की जरूरत है।
प्रगति मिडिया से सुनील जुयाल की रिपोर्ट ।।
COMMENTS