वृंदावन धाम : अगर आप वृंदावन आते हैं या आप ब्रज धाम में कहीं भी घूमते हैं तो आपको बांके बिहारी मंदिर के बारे में अवश्य पता होगा और अगर आप वृंदावन आए होंगे तो आपने बांके बिहारी मंदिर के दर्शन अवश्य किए होंगे.
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर भारत के प्रसिद्ध व पुराने मंदिरों में से एक है।
बांके बिहारी मंदिर कितनी जगह में बनेगा.
बांके बिहारी मंदिर भारत के साथ साथ पूरी दुनिया ने विख्यात है, इसलिए यहां पर रोज़ के हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते है । बांके बिहारी मंदिर में दर्शनर्तियो की भीड़ बढ़ती जा रही है।
ठाकुर बांकेबिहारी ( Thakur Banke Bihari mandir ) मंदिर में बढ़ती भीड़ को देखकर सरकार ने बांके बिहारी मंदिर के लिए पांच एकड़ में गलियारा प्रस्तावित किया है। इसकी रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। जुगलघाट स्थित परिक्रमा मार्ग से इसका मुख्य रास्ता दिया गया है। यमुना के किनारे बन रहे यमुना रिवर फ्रंट से गलियारा के लिए रास्ता जाएगा। गलियारा के लिए जमीन का चिन्हांकन शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर काम भी शुरू हो जाएगा।
मंदिर परिसर इतना भव्य और दिव्य होगा कि एक बार में कम से कम 10 हजार श्रद्धालु इसमें रुक सकते हैं। मंदिर परिसर में दो तल होंगे, एक निचला तल होगा और एक तल उससे साढ़े तीन मीटर ऊंचा बनाया जाएगा। ठाकुर बांकेबिहारी ऊपरी तल पर विराजमान होंगे। हर तल पर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
बांके बिहारी मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ.
श्रीधाम वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया था । वृंदावन एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है।
श्रीहरिदास स्वामी विषय उदासीन वैष्णव थे। उनके भजन–कीर्तन से प्रसन्न हो निधिवन से श्री बाँकेबिहारीजी प्रकट हुये थे। स्वामी हरिदास जी का जन्म संवत 1536 में भाद्रपद महिने के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन वृन्दावन के निकट राजपुर नामक गाँव में हूआ था। इनके आराध्यदेव श्याम–सलोनी सूरत बाले श्रीबाँकेबिहारी जी थे। इनके पिता का नाम गंगाधर एवं माता का नाम श्रीमती चित्रा देवी था।
बांके बिहारी मंदिर
हरिदास जी, स्वामी आशुधीर देव जी के शिष्य थे। इन्हें देखते ही आशुधीर देवजी जान गये थे कि ये सखी ललिताजी के अवतार हैं।
निकुंज वन में ही स्वामी हरिदासजी को बिहारीजी की मूर्ति निकालने का स्वप्नादेश हुआ था।
बांके बिहारी जी की मूर्ति मार्गशीर्ष, शुक्ला के पंचमी तिथि को निकाली गई थी। इस तिथि इस पर्व को बृजवासी बिहार पंचमी के त्योहार पर बनाते है. युगल किशोर सरकार की मूर्ति राधा कृष्ण की छवि के कारण बाँके बिहारी जी के छवि के मध्य ऐक अलौकिक प्रकाश की अनुभूति होती है,
बांके बिहारी मंदिर का निर्माण कैसा रहेगा.
बांके बिहारी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को प्राकृतिक वातावरण की बहुत कमी महसूस होती है इसलिए ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर परिसर इतना भव्य बनाया जाएगा कि यहां पर प्राकृतिक वातावरण के बीच श्रद्धालु बैठ सकेंगे। इसके लिए चार ऐसे स्थल विकसित किए जाएंगे, जो हरियाली के बीच पार्क के रूप में होंगे। यहां श्रद्धालुओं के बैठने की भी व्यापक व्यवस्था होगी।
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित गलियारे पर पांच अरब छह करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। परिक्रमा मार्ग स्थित जुगल घाट से गलियारा का मुख्य प्रवेश द्वार होगा। गलियारा का स्वरूप ऐसा तैयार किया गया है कि उसके अंदर प्रवेश करते ही आराध्य की छवि बाहर से ही दिखाई देगी।
बांके बिहारी मंदिर की बनावट किस तरह की रहेगी.
बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं जाने वालो को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसमे श्रद्धालुओं के दर्शन करना भी मुश्किल ही जाती है .
बांके बिहारी मंदिर की बनावट के हिसाब से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के परिसर को दो हिस्सों में बांटा जा रहा है। निचले तल पर श्रद्धालुओं बैठने के लिए दो हरे-भरे दो पार्क विकसित किए जा रहे हैं। ये परिसर करीब 11 हजार वर्गमीटर का होगा। यहां पांच हजार मीटर का खुला क्षेत्र होगा। यहां जूता घर, सामान कक्ष, सार्वजनिक सुविधाएं, शिशु देखभाल कक्ष, चिकित्सा सुविधा, विशिष्ट अतिथि कक्ष, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पूजा सामग्री की दुकानें, तीर्थयात्री प्रतीक्षालय के साथ ही कान्हा की लीलाओं से सुसज्जित छायाचित्रों का गलियारा होगा।
बांकेबिहारी मंदिर परिसर का ऊपरी तल करीब 10 हजार मीटर का होगा। ये निचले तल से साढ़े तीन मीटर ऊंचा होगा। सीढ़ियों के जरिए श्रद्धालु ऊपरी तल पर पहुंचेंगे। अगल-बगल सीढ़ियों और बीच में भव्य फव्वारा होगा। ऊपरी तल पर चढ़ते ही सामने ठाकुर बांकेबिहारी दिखाई देंगे। यहां करीब नौ सौ मीटर में मंदिर की परिक्रमा के लिए मार्ग विकसित किया जाएगा। करीब साढ़े छह हजार वर्गमीटर का खुला क्षेत्र विकसित होगा।
बांके बिहारी मंदिर जानें के लिए कितने रास्ते होंगे.
बांकेबिहारी मंदिर आने के लिए गलियारे में तीन रास्ते बनाए जाएंगे। एक रास्ता जुगलघाट से सीधा मंदिर तक पहुंचेगा। एक रास्ता विद्यापीठ चौराहे से आएगा और तीसरा रास्ता जादौन पार्किंग से आएगा, इसे वीआइपी मार्ग कहा जाता है। ये रास्ते करीब 20 से 25 मीटर तक चौड़े होंगे।
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