कोरोना काल को आपदा समझ स्कूली फीस में राहत का आदेश मानवीय -- पूर्वांचल राज्य मोर्चा
सोनभद्र ! निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर लगाये गए कोरोना काल में आर्थिक अधिभार पर हाईकोर्ट का फैसला ---अभिभावकों को राहत दो । न्याय पर एक मिसालयुक्त पहल हैं इस को लेकर चल रहे अभिभावकों के आंदोलन में पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के संरक्षक चन्द्र भूषण मिश्र "कौशिक"की भूमिका पूर्वांचल में एक महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही हैं देश भर में चल रहे अभिभावकों के इस आंदोलन के साथ समन्वय स्थापित कर सोनभद्र के अभिभावकों की समस्या के साथ उन्तीस संगठनों से जुड़ पूर्वांचल के निजी स्कूलों में व्याप्त आर्थिक शोषण को उजागर किया हैं इस बावत अधिवक्ता पवन कुमार सिंह ने कहा - सोनभद्र के जनमानस का शोषण व चाहे सामाजिक हो या स्कूली पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा सरकार तक पहुंचाते हुए न्याय के लिए इसे न्याय के पक्ष में लाने हेतु वचनवध्य हैं ।
जनता को निजी लोगों के हाथों लूटने को छोड़ जब सरकार आँख बंद कर जनता को बेहाल छोड़ती हैं तब तब न्यायालय जनता के हितों को संज्ञान में लेकर जनहित के मुद्दे पर फैसला करती हैं हाईकोर्ट का यह फीस राहत का फैसला इसी का एक जीवंत उदाहरण हैं ।याद करते चले की जनहित के मुद्दे पर अभिभावकों के पक्ष से कोरोना आपदा काल में नगर के अभिभावकों द्वारा एकत्रित हो बाधित निजी स्कूलों के शिक्षा कार्य के बावजूद उनकी ओर से पूरे फीस वसूली को लेकर अभिभावकों पर बढ़ रहे दबाव के कारण नगर में हर ओर एक आंदोलन शुरू हो गया था उस समय नगर की पुर्वांचल राज्य मोर्चा की स्थानीय टीम स्कूलों से अभिभावकों का ध्यान रखने का अपील कर रही थी लेकिन शिक्षा को सिर्फ लाभ का दुकान बनाने को लेकर स्कूलों के अनर्गल फीस वसूली के खिलाफ यह गतितिरोध देश भर में बढ़ गया था जिसमें एक तरफ स्कूली बच्चों के अभिभावकों का कोरोना आपदा के कारण काम-धाम बन्द था वही निजी स्कूलों की तरफ से पूरे स्कूल फीस वसूली को लेकर नये नये फरमान जारी हो रहे थे जिस पर नगर की अभिभावक व स्कूल प्रबंधक समूह स्थानीय क्षेत्र में आमने सामने आ गए थे उस समय के विषय को ध्यान में रख इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब पंद्रह प्रतिशत फीस पर राहत देने का फैसला स्कूलों को दिया हैं जब की उस समय आनलाइन शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की हो रही लूट पर जहा स्कूलों से मांग की गई थी की वो आनलाइन शिक्षा के बदले अभिभावकों को वो सुविधा दे जिसमें उन्हें कोरोना काल में बन्द पड़े अपने रोजगार की आपदा में बच्चों का फीस देना उनको कम कष्टकारी हो पर स्कूलों द्वारा पूरा फीस वसूली जिद्द व पूरा फीस भुगतान नहीं कर पाने के स्थिति में उनके बच्चों का स्कूल से निकाले जाने व ऑनलाइन शिक्षा ग्रुप से बच्चो को बाहर कर देने के मुद्दे इतना बढ़ गए की नगर के स्कूलों के इस अनाचार के खिलाफ हर ओर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था । ऐसे स्थिति में इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले में अभिभावकों को राहत देने का निजी स्कूलों पर फैसला काफी आशादायीं फैसला हैं ।
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