आज श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने पुलिस के व्यवधान के प्रयास के बाद भी संगम में स्नान कर राष्ट्र की समृद्धि की कामना से माँ गंगा का पूजन-अर्चन किया |
पूज्य शंकराचार्य जी महाराज से उ०प्र० पुलिस को सद्बुद्धि प्रदान करने की माँ गंगा से प्रार्थना की, ताकि माघ मेला सकुशल एवम् निर्विघ्न सम्पन्न हो सके | स्नान के पश्चात् पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने मीडिया के माध्यम से सनातन धर्मावलम्बियों से कहा कि त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना, सरस्वती के मिलन को कहा जाता है। इस संगम स्थल को ओंकार के नाम से भी अभिहित किया गया है। यह शब्द परमेश्वर की ओर रहस्यात्मक संकेत करता है, और यही त्रिवेणी का भी सूचक है। नृसिंह पुराण में विष्णु भगवान को प्रयाग में योगमूर्ति के रूप में स्थित बताया गया है । इसके साथ ही मत्स्य पुराण के अनुसार शिव के रुद्र रूप द्वारा एक कल्प के उपरान्त प्रलय करने पर भी प्रयाग स्थल नष्ट नहीं होता तथा उस समय उत्तरी भाग में ब्रह्मा छद्म वेश में, विष्णु वेणी माधव रूप में व भगवान शिव वट वृक्ष के रूप में निवास करते हैं, एवम् देव, सिद्धऋषि, मुनि, पापशक्तियों से प्रयाग की रक्षा करते हैं |
इसीलिए मत्स्य पुराण में तीर्थयात्री को प्रयाग में एक मास निवास करने तथा देवताओं और पितरों की पूजा करने का विधान भी है | यहाँ के संगम स्थल को त्रिवेणी संगम कहा जाता है। त्रिवेणी संगम में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है व स्वर्ग की प्राप्ति होती है। हैं। भगवान ब्रह्मा ने यहां प्राकृष्ट यज्ञ किया था, जिस कारण इस पवित्र स्थान को प्रयाग नाम से संबोधित किया गया | पूज्य शंकराचार्य जी के साथ स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती, शशांक धर द्विवेदी, विनोद कुमार त्रिपाठी, तथा वेद विद्यालय के बटुकों ने भी त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई |
--स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती
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