*जीवन में रमणीकता का संदेश देता है श्री कृष्ण का जीवन चरित्र*
सोनभद्र।जब इस सृष्टिचक्र में कलयुगी तमोप्रधान विकारों की जेल में जकड़े हुए अधर्म से कराहती मानवता का बंधन टूटकर सतोप्रधान और सतयुगी वातावरण का चक्र घूमता है तो इस धरा पर विश्व के प्रथम महाराजकुमार श्रीकृष्ण का पावन पदार्पण होता है। पांच महाविकारों के कारण नर्क बन गए जीवन में सात्विक भावों का प्रकाशन होना ही श्रीकृष्ण का जन्म है। तनाव भरे जीवन में श्री कृष्ण के समान रमणीकता आवश्यक है तभी जीवन की प्रासंगिकता है। उक्त बातें श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर रॉबर्ट्सगंज के विकास नगर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय ईश्वरीय विश्व विद्यालय पर सेवाकेंद्र की मुख्य संचालिका बी०के०सुमन बहन ने बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा । उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि श्रीकृष्ण सोलह कला संपन्न उच्च मानवीय मूल्यों के अवतार थे । वर्तमान समय में उनका व्यक्तित्व और कृतित्व अत्यंत प्रेरक है। योगेश्वर श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेते हुए हमे प्रत्येक परिस्थिति में हर्षित रहना है । श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बाल गोपाल श्रीकृष्ण की चैतन्य झांकियों को आकर्षण ढंग से सजाया गया था । श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत करके यह संदेश दिया गया कि सत्य ज्ञान और सात्विक प्रवृत्तियों के जीवन में धारणा से ही परमात्मा का सानिध्य प्राप्त होता है। प्रियांसी,साक्षी,कृष्णानंदन,पूजा,पूनम,कुमकुम,तेजस,शिवांस, प्रिया,प्रियांसु,वैष्णवी, कु नेहा,।इस प्रोग्राम को सफल बनाने में बीके प्रतिभा ,बीके सीता,सरोज,दीपशिखा,कविता,हरिंद्र भाई,गोपाल का सराहनीय योगदान हैं।
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