एक दूसरे की भावनाओं का करें आदर : मिथिलेश द्विवेदी
----वर्तमान परिवेश में प्रबुद्ध जनों की बौद्धिक अपील
सोनभद्र । मीडिया फोरम ऑफ इंडिया न्यास के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने रविवार को आयोजित एक आभासीय गोष्ठी की सदारत करते हुए कहा कि हर नागरिक एक दूसरे की आस्था व विश्वास का हर हाल में आदर करें । कोई ऐसी बात न करें जिससे किसी की धार्मिक भावना , धर्मशास्त्र या किसी महापुरुष का अनादर का भाव परिलक्षित हो ।
इसी भाव को आगे बढ़ाते हुए सोन साहित्य संगम के संयोजक कवि राकेश शरण मिश्र ने कहा कि बोलने के पहले सोचे फिर वही बोलें जो दूसरे को प्रिय लगे । ऐसी वाणी न बोले जिससे कोई मर्माहत हो ।
बौद्धिक गोष्टी मैं कवि व पत्रकार राजेश द्विवेदी 'राज' ने कहा कि सबकी अपनी अपनी आस्था व विश्वास है ।हमें सभी की भावनाओं का आदर करना चाहिए। यही विविधता में एकता और भारत की विशेषता है ।
शिक्षाविद एवं पत्रकार भोलानाथ मिश्र ने कहा कि हम सभी एक ही परम पिता की संतान है । एक माँ के जैसे चार रूप है , लेकिन वो एक ही है । उसका बेटा उसको माँ कहता है, पिता बेटी कह कर बुलाता है और पति के लिए वह पत्नी रहती है। भाई उसे बहन कहता है लेकिन वो है तो एक ही । उसके रूप व नाम अलग अलग भले ही है लेकिन है तो वो एक ही । वैसे ही ईश्वर एक है , उनके नाम अलग अलग है । फिर किस बात की तू- तू मैं- मैं! आभासीय गोष्ठी में सभी संप्रदाय के लोगों से आपसी प्रेम और सौहार्द स्थापित कर भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को खंडित होने से बचाने की बुद्धिजीवियों ने अपील की । गीतकार ईश्वर विरागी, दिवाकर द्विवेदी 'मेंघ', सरोज सिंह, प्रभात सिंह चंदेल रामानुज धर द्विवेदी, संजीव श्रीवास्तव, राजकुमार सिंह और सर्वेश श्रीवास्तव आदि इसके साक्षी बने।
फोटो क्रमशः राकेश शरण मिश्र,मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी,राजेश द्विवेदी,भोलानाथ मिश्र
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