श्री धाम वृंदावन एक एसा स्थान है जहां भक्ति व करुणा रज रज में बस्ती है।
वृंदावन धाम में 27 जून 2022 को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी वृंदावन दर्शन के लिए आए है।
उनके स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य्मंत्री योगी आदित्यनाथ जी के साथ कई बड़े बड़े नेता भी साथ आए थे।
राष्टपति राम नाथ कोविंद जी का काफ़िला
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर दर्शन के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी के साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी आई थी .
वृंदावन दर्शन के दौरान राम नाथ कोविंद जी वृंदावन के
आइए बांके बिहारी मंदिर के बारे में जानते है ।
अगर आप वृंदावन आते हैं या आप ब्रज धाम में कहीं भी घूमते हैं तो आपको बांके बिहारी मंदिर के बारे में अवश्य पता होगा और अगर आप वृंदावन आए होंगे तो आपने मां की बारी मंदिर के दर्शन अवश्य किए होंगे.
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर भारत के प्रसिद्ध व पुराने मंदिरों में से एक है।
श्रीधाम वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया था । वृंदावन एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है।
श्रीहरिदास स्वामी विषय उदासीन वैष्णव थे। उनके भजन–कीर्तन से प्रसन्न हो निधिवन से श्री बाँकेबिहारीजी प्रकट हुये थे। स्वामी हरिदास जी का जन्म संवत 1536 में भाद्रपद महिने के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन वृन्दावन के निकट राजपुर नामक गाँव में हूआ था। इनके आराध्यदेव श्याम–सलोनी सूरत बाले श्रीबाँकेबिहारी जी थे। इनके पिता का नाम गंगाधर एवं माता का नाम श्रीमती चित्रा देवी था।
हरिदास जी, स्वामी आशुधीर देव जी के शिष्य थे। इन्हें देखते ही आशुधीर देवजी जान गये थे कि ये सखी ललिताजी के अवतार हैं।
राष्टपति राम नाथ कोविंद जी दर्शन करते हुए।
निकुंज वन में ही स्वामी हरिदासजी को बिहारीजी की मूर्ति निकालने का स्वप्नादेश हुआ था।
बांके बिहारी जी की मूर्ति मार्गशीर्ष, शुक्ला के पंचमी तिथि को निकाली गई थी। इस तिथि इस पर्व को बृजवासी बिहार पंचमी के त्योहार पर बनाते है. युगल किशोर सरकार की मूर्ति राधा कृष्ण की छवि के कारण बाँके बिहारी जी के छवि के मध्य ऐक अलौकिक प्रकाश की अनुभूति होती है,
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