टिहरी : राजकिय इंटर कालेज मैडंखाल में स्कुल में शिक्षकों व छात्र छात्राओं द्वारा तम्बाकू निषेध दिवस मनाया गया है.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता S M C के अध्यक्ष श्री सुनील जुयाल व स्कुल के प्रधानाचार्य श्री हेमचन्द रमोला जी ने की है कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी के प्रवक्ता श्री भंडारी जी ने किया.
इस अवसर पर ब्रहमाकुमारी आश्रम मैडंखाल की सरोज बहिन मुख्य अतिथि रहें छात्र छात्राओं ने बाजार में रैली निकालकर नशा के प्रति आम जनमानस को जागरूक किया रैली को हरी झंडी दिखाकर स्कुल के प्रधानाचार्य व S M C के अध्यक्ष ने रवाना किया.
सभी वक्ताओं ने स्कुल के छात्र छात्राओं तम्बाकू का सेवन न करने के टिप्स दिये और तम्बाकू से होने वाले नुक्सान से जिंदगी को किस प्रकार का खतरा है इसकी जानकारी ब्रहमा कुमारी की दीदी ने सभी उपस्थित लोगों की दी है आश्रम की और से उनके द्वारा छात्र छात्राओं को फल बितरण किये गये है स्कुल के छात्र छात्राओं को स्कुल के प्रधानाचार्य व एस एम सी अध्यक्ष व बहिन सरोज ने तंबाकू निषेध की जानकारी दी है.
उन्होंने कहा हर साल 31 मई को वर्ल्ड नो टोबैको डे (तंबाकू निषेध दिवस) के रूप में जाना जाता है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल तंबाकू से 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है तंबाकू सेवन करने वाले लोगों को तो नुकसान पहुंचाता ही है, साथ ही इसके संपर्क में आने वाले लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है दुनिया में तंबाकू से होने वाली मौतों में 70 लाख से ज्यादा मौतें प्रत्यक्ष तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से होती है, जबकि लगभग 12 लाख मौतें इसके धुएं के संपर्क में आने का परिणाम हैं
तंबाकू का धुंआ फेफड़ों के म्यूकस (बलगम) वाले सेल्स को बढ़ाता है। क्योंकि फेफड़े म्यूकस को खुद नहीं हटा सकते हैं, ऐसे में ये वायुमार्ग में इकट्ठा होने लगता है. यही म्यूकस संक्रमण बढ़ाता है. इसके अलावा धुंआ फेफड़ों में पाई जाने वाली सिलिया नामक फाइबर्स की एक्टिविटी को धीमा कर देता है. सिलिया का काम फेफड़ों की सफाई करने और म्यूकस को मुंह के रास्ते बाहर की ओर धकेलने का है।
अगर हम भारत की बात करें तो, डब्लूएचओ केअनुसार तंबाकू उत्पादों के सेवन से भारत में हर साल लगभग 13.5 लाख मौतें होती हैं। डब्लूएचओ के ही आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 41 हजार युवा और लगभग 400 बच्चों की मौत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने के कारण हो जाती है। जब आप तंबाकू या सिगरेट छोड़ते हैं, तो इसमें पाया जाने वाला निकोटिन 3 से 10 दिन तक ब्लड में बना रहता है
दरअसल, एक मीडियम साइज की सिगरेट में 10 मिग्रा निकोटिन पाया जाता है, जबकि शरीर केवल 1 मिली ग्राम निकोटिन ही अवशोषित कर पाता है. तंबाकू के सेवन के दौरान शरीर में पाए जाने वाले एंजाइम इसे बाय-प्रोडक्ट कोटिनिन में तोड़ देते हैं. ये शरीर में ज्यादा समय तक रहता है. एक्सरसाइज इससे छुटकारा दिलाने में कारगर है
तंबाकू के धुएं में पाई जाने वाली कार्बन मोनोक्साइड गैस ब्लड में ऑक्सीजन को घटाती है। इसमें पाया जाने वाला निकोटिन ब्रेन और मसल्स की एक्टिविटी को इफैक्ट कर ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है. इसके अलावा धुंआ ब्लडवेसल्स को डैमेज कर इन्हें मोटा और संकरा कर देता है। इससे दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, नतीजा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हार्ट संबंधी रोग होने लगते हैं
निकोटिन न्यूट्रोफिल की क्षमता को कमजोर करता है, इससे शरीर की इम्यूनिटी घटने लगती है। इसके अलावा स्मोकिंग से बनने वाला टार अन्य टॉक्सिन के साथ मिलकर बीमारी लड़ने में मददगार एंटीबॉडी को नष्ट करता है.
स्मोकिंग दिमाग के सबकॉर्टिकल भाग को प्रभावित करता है. ब्रेन का ये हिस्सा आनंद, हार्मोन उत्पादन और याददाश्त से जुड़ा है। स्मोकिंग से ब्रेन का वॉल्यूम कम हो जाता है। इससे डिमेंशिया या विचलन जैसी जटिल समस्याएं होती है.
लगातार सिगरेट पीने से फेफड़ों में इनकी संख्या भी घटती जाती है. इसके अलावा फेफड़े के कैंसर का सबसे प्रमुख कारण स्मोकिंग है ।
इस अवसर पर स्कुल के S M C अध्यक्ष श्री सुनील जुयाल प्रधानाचार्य श्री हेमचंद रमोला,विजेंद्र सिंह भंडारी,संजय बधानी,हरीश तोपवाल,बी डी सेमवाल,संदीप खंडूड़ी,दुर्गेश नौटियाल,पी एल गोस्वामी,संदीप बिष्ट,मंजू रमोला,निरा मिश्रा,उषा थपलियाल,प्रियंका भंडारी,शिवानी रतुडी,सगिंता नेगी ,माधुरी उनियाल,एवं ईश्वरीय आश्रम से सेवक श्री रतन मणी उनियाल प्रमिला भंडारी रोशनी भट्ट बुद्धा देवी कुशुम नौटियाल प्रियंका देवी खजानी देवी,चंदा देवी,सुमा देवी रेखा देवी किरन देवी आदि लोग उपस्थित रहे।
टिहरी गढ़वाल से सुनील जुयाल की रिपोर्ट
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