हिमाचल प्रदेश कर्मचारी कल्याण बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष ठाकुर सुरिन्द्र सिंह मनकोटिया ने प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को आंकड़ों का मक्कड़जाल बताया है।
जसवां :-(जतिन कुमार ) - आज जन जागरण अभियान के तहत घमरूर पंचायत मे लोगों के घर घर जाकर मिले उसके बीच पत्रकार वार्ता मे सुरेंद्र मनकोटिया ने कहा की बजट में एक बार फिर जनता को ठगने का काम सरकार ने किया है। ओपीएस और उनके अंदोलन पर बजट में कोई जिग्र नहीं है। प्रदेश में 14 लाख शिक्षित बेरोजगार मारे-मारे फिर रहे हैं। इनके भविष्य को लेकर सरकार ने कोई दिशा तय नहीं की है। कर्मचारियों के प्रति सरकार तानाशाह रवैया अपनाकर असंवेदनशीलता का परिचय दिया है। हिमाचल प्रदेश कर्मचारियों के लिए इस बजट में कुछ नहीं कहा गया है। आऊटसोर्स और एसएमसी कर्मचारियों पर तो कोई बात न करना सरकार की हठधर्मिता को दर्शाता है। मनकोटिया ने पूछा कि कोविड-19 काल में जिन लोगों की नौकरियां छूट गई हैं और जो गुजर बसर के लिए प्रदेश में मारे-मारे फिर रहे हैं उनके बारे में कोई योजना बजट में नहीं है।
आज 150 दिनों से करुणामुलक नौकरियां वाले हड़ताल पर बैठे हैं, और नौकरी की आस में बुढ़े होते जा रहे हैं लेकिन सरकार इसको लेकर भी असंवेदनशील बनी हुई है। मध्यम तबके के व्यापारी से लेकर हर आम तबके के लोगों को बजट में कोई आस नहीं दिखी है। प्रदेश कर्जे के पहाड़ के नीचे लगातार दबा जा रहा है। कुल मिलाकर यह बजट एक रटारटाया दस्तावेज साबित हुआ है, जिससे प्रदेश के किसान, बागवान, कर्मचारी, व्यापारी को कुछ नहीं मिला है। यह बजट मंहगाई की रोकथाम करने में विफल साबित हुआ है। प्रगति मीडिया संवाददाता जतिन कुमार की रिपोर्ट.
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