गांधी अहिंसा के मूलमंत्र की वाहिनी थी कस्तूरबा- डॉ. सोनी
चूरूः आजादी की-75वीं पुण्यतिथि पर जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की ओर से कस्तूरबा गांधी को याद किया गया।
किसी भी आंदोलन के हिंसक एवं अहिंसक दो स्वरूप हो सकते हैं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का स्वरूप अहिंसक था, जो पूरे विश्व में अनोखा था। इस अहिंसक स्वरूप के पीछे मूल रूप से स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गांधी थीं। चूंकि भारत के आजादी आंदोलन में महात्मा गांधी बड़े नेता थे और उनका अहिंसा ही मूल मंत्र था। गांधीजी ने यह मूलमंत्र सर्वप्रथम अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के अहिंसक प्रतिरोध से प्राप्त किया। ऐसे में अहिंसा का मार्ग गांधीजी ने कस्तूरबा के अहिंसक स्वभाव से सीखा और आगे चलकर यह देश की आजादी का मूलमंत्र भी बना। उक्त विचार स्थानीय राजकीय कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय टाईप तृतीय में जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में राजकीय लोहिया महाविद्यालय में इतिहास के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. एस.डी. सोनी ने व्यक्त किए। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष में आयोजित हो रहे कार्यक्रमों की शृंखला में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सोनी ने कहा कि कस्तूरबा गांधी न केवल महात्मा गांधी की पत्नी थी, अपितु वे हिंदुस्तान की महिलाओं में जागृति के प्रसार की वाहक रहीं। उन्होंने घर-घर जाकर महिलाओं को आजादी के मूल्य बताए और आजादी आंदोलन से जोड़ा। कस्तूरबा खुद अनेकों बार जेल गईं और आज ही के दिन पूना में जेल नजरबंदी के दौरान ही उनका निधन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोषाधिकारी रामधन ने कहा कि किसी भी आंदोलन की सफलता में स्त्रियां रीढ की हड्डी होती हैं। भारत की स्त्री जब घर से निकलकर कस्तूरबा गांधी के नेतृत्व में आजादी के नारे लगाने लगी, तो अंग्रेजी हुकूमत सोचने पर विवश होने लगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष चूरू तहसीलदार धीरज झाझड़िया ने कहा कि आजादी के योद्धाओं के स्मरण के इस पुनीत समय में कस्तूरबा गांधी के योगदान को हमें समझना होगा और खासकर बालिकाओं, महिलाओं को आगे बढकर उनका उत्तराधिकारी बनना होगा।
स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गांधी के चित्र पर अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि से शुरू हुए कार्यक्रम में आयोजक विद्यालय की ओर से शिक्षक कृष्णा पचार ने स्वागत भाषण दिया। महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के चूरू संयोजक रियाजत अली खान ने समिति की ओर से अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि गांधी को गांधी बनाने में असली योगदान कस्तूरबा का ही रहा है। विद्यालय की आरती, प्रीति, ममता, पुष्पा, नीतू आदि बच्चियों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विद्यालय प्रिसिंपल विमला देवी, शिक्षक तनुजा जटिाया, शबनम, अनीता, विनोद की उपस्थिति भी रही। अहिंसा प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. दुलाराम सहारण ने धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अहिंसा प्रकोष्ठ प्रभारी उम्मेद सिंह गोठवाल ने किया।
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