'शिखर' के पुस्तक "काशी के चौरासी" का प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने किया विमोचन
वाराणसी। एनटीपीसी के सहायक प्रबंधक (मानव संसाधन) डॉ. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' के पुस्तक "काशी के चौरासी" उर्फ "शिखर बनारस के घाट" का विमोचन संकटमोचन मंदिर के प्रतिष्ठित महंत एवं आईआईटी बीएचयू के प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र के कर कमलों द्वारा रविवार को आयोजित एक समारोह में किया गया।
कवि, लेखक एवं साहित्यकार के रूप में ख्यातिलब्ध रचनाकार ने काशी के सभी घाटों का सचित्र वर्णन अपनी पुस्तक "काशी के चौरासी" में क्रमवार संजोया है। बताते चलें कि पुस्तक के रचनाकार 'शिखर' की इसके पूर्व आधे दर्जन काव्य और कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं । आज विमोचित हुई इस पुस्तक में काशी के सभी घाटों को चित्रित कर अलग स्वरूप दिया गया है। यह लिखने में तनिक भी गुरेज नहीं की यह पुस्तक देश-विदेश से आने वाले भक्तों एवं पर्यटकों के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेगी।
साहित्य शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास की साहित्यिक तपस्थली तुलसी घाट पर आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर मिश्र जी ने इस पुस्तक को तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने इसे और भी अधिक विस्तृत रुप में प्रकाशित करने तथा अंग्रेजी एवं दक्षिण भारत के अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित करने का सुझाव दिया। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी इच्छा जाहिर की कि साहित्यकारों की एक टीम बनाकर काशी के साहित्यिक विकास के लिए विशेष कार्य करें।
वहीं विमोचन के पूर्व पुस्तक के रचनाकार 'शिखर' जी ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर मिश्र का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्रम् से अभिनन्दन किया।
गौरतलब हो कि डॉ. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' द्वारा रचित उक्त पुस्तक का प्रकाशन नोएडा के अंकुर प्रकाशन द्वारा किया गया है।
विमोचन समारोह की अध्यक्षता दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई के पूर्व कुलपति प्रो. राम मोहन पाठक ने की। विमोचन समारोह के प्रो.दया शंकर त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार एवं सोन साहित्य संगम के निदेशक मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व शिक्षक एवं किशोर न्याय बोर्ड सदस्य ओमप्रकाश त्रिपाठी, सोन साहित्य संगम सोनभद्र के संयोजक यूपी बार काउंसिल के अनुशासन समिति के सदस्य राकेश शरण मिश्र, मिर्जापुर से आनंद 'अमित', डॉ.आनंद कुमार श्रीवास्तव, प्रदीप उपाध्याय, रुपेश नागवंशी, हिमांशु मिश्र एवं अशोक पाण्डेय जैसे साहित्य मनीषी साक्षी रहे। पुस्तक के रचनाकार शिखर जी की ओर से उपरोक्त प्रबुद्ध जनों का भी अंगवस्त्रम से अभिनंदन किया गया। सभी वक्ताओं ने पुस्तक की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. राममोहन पाठक ने काशी के अन्य विषयों पर पुस्तक लिखने का सुझाव दिया। संचालन सोनभद्र से पधारे साहित्यकार राकेश शरण मिश्र ने तथा आभार ज्ञापन डॉ. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने किया।
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