अमेरिका की एक संस्था Center for Global Development ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोविड से 34 लाख से 49 लाख लोगों की मौत होने का अनुमान है। भारत सरकार 4.18 लाख मौतों की बात कहती है। संस्था ने सिरोलॉलिजकल शोध, घरों में किए गए सर्वे, शहरी निकायों के आंकड़ों के आधार पर ये संख्या पेश की है। तीन अनुमान है या तो 34 लाख मृत्यु, 40 लाख मृत्यु या 49 लाख मृत्यु।
Public Health Foundation of India & Duke Global Health Institute, US के एक आने वाली रिपोर्ट के अनुसार कोविड में इलाज के लिए एक आम भारतीय ने अपना सात महीने के बराबर की सैलरी खर्च की। कोविड ICU में खुद या किसी अपने का इलाज कराने के लिए सामान्य नौकरी वाले परिवारों ने अपनी सारी बचत, कमाई गंवा दी और कर्ज में डूब गए। अप्रैल 2020 से जूम 2021 के बीच इन आम लोगों ने कोविड से लड़ने, बचने और गुजर जाने के बीत 64,000 करोड़ रूपए गंवा दिए। इस शोध में कई चुभने वाले आंकड़े है। जैसे एक सामान्य आयवर्ग के व्यक्ति ने केवल टेस्टिंग में 8.2 दिन की तनख्वाह, होम आइसोलेशन में 3.1 दिन की तनख्वाह, हास्पिटल आइसोलेशन में 249 दिन की तनख्वाह और आईसीयू के लिए 471 दिन की तनख्वाह खर्च की।
देश के 68 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी विकसिक हो चुकी है। चौथे राष्ट्रीय सीरो सर्वे में ये बात सामने आई है। इसमें बड़ी तादाद 45-60 उम्र वर्ग के लोगों की है। 6-9 साल के बच्चों में 57-2%, 10-17 उम्र के बीच 61-6%, 18-44 साल वालों में 66.7% और 60 साल के ऊपर वालों में 76.7 फीसदी एंटीबॉडी आज है। इसके हिसाब से एक तिहाई आबादी अभी भी खतरे के बीच है। यानि 30 करोड़ से ज्यादा लोगों में कोविड से लड़ने की क्षमता अभी नहीं है। सर्वे वैसे 21 राज्यों के 70 जिलों में 28,795 लोगों पर किया गया है। बीते एक साल में चार सीरो सर्वे हुए, पहला मई-जून 2021 में जिसमें सीरो प्रिवलेंस 0.7 फीसदी थी। दूसरा अगस्त-सितंबर 2021 जिसमें 7.1%, तीसरा दिसंबर 20-जनवरी 21 जिसमें सीरो प्रिवलेंस 24.1 रही और अब चौथा जिसमें ये 67.6 थी। तीसरे सीरो सर्वे के बाद ही दूसरी लहर ने हमला बोला था। तब देश की तीन चौथाई आबादी कोविड के लिए तैयार नहीं थी।
कल संसद में ये बताया गया कि किसी भी राज्य में कोई भी आक्सीजन की कमी से नहीं मरा। ऐेसा केन्द्र सरकार ने राज्यों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर कहा। कोविड की पहली लहर में देश को 3,095 MT आक्सीजन की जरूरत थी जो दूसरी लहर के चरम पर 9000 MT तक गई। आक्सीजीन की आपूर्ति को लेकर ही सबसे ज्यादा हल्ला मचा। कई राज्यों से अस्पताओं में आक्सीजन सप्लाई न होने से मौतों की खबरें भी आई। दिल्ली में तो अस्पताल हाईकोर्ट तक पहुंच गए। 1 मई को दिल्ली के बत्रा अस्पताल में आक्सीजन की कमी से 12 लोग गुजर गए। 11-15 मई के बीच गोवा के सरकारी अस्पताल में 83 लोग मरे। कर्नाटक के चामराजनगर में 36 मौतें हुई। आंध्र में 23 मौतें की बात सरकार ने मानी। हरियाणा में 19 लोग मरे, जिसकी जांच राज्य सरकार ने करवाने के आदेश दिए। करीब पांच राज्यो में 195 लोगों की मौत आक्सीजन कमी के कारण होने की बात सामने आई थी।
The Lancet दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा शोध पत्र है। इसमें छपे एक हालिया शोध के अनुसार भारत में 1 लाख 20 हजार बच्चों ने कोविड मेँ अपने एक अभिवाहक को खो दिया। पूरी दुनिया में ये संख्य़ा 15 लाख की है। इसें 25,000 भारतीय बच्चों ने अपनी मां को और 90,751 ने अपने पिता को खोया। कोविड की पहली लहर में जहां 5,091 बच्चे अनाथ हुए नहीं अप्रैल 2021 में ये 8.5 फीसदी बढ़कर 43,139 पर जाकर रूकी।
ये सब लिखकर कुछ जताने का मन नहीं है। बस आपको जानना चाहिए।
~ भव्य
Bhavya G Sri
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