बस्तर के आंचल में विभिन्न कार्य क्षेत्रों में बहुत से लोगो ने अपनी ख्याति साबित की है। बस्तर ने बहुत से अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, और अन्य कई गुणवान लोगो को जन्म दिया है। जो आज बस्तर में रहकर अपनी योग्यता और कौशल से बस्तर के लोगो को अपनी सेवा दे रहे है और बस्तर का नाम रौशन कर रहे है। ऐसा ही एक नाम है जिसने कानून और वक़ालत में अपना लोहा मनवाया है और अपनी ख्याति को साबित किया है जिसे आज सारा बस्तर संकल्प दुबे एडवोकेट के नाम से जनता है।
महज़ 40 साल से भी कम उम्र के संकल्प दुबे ने बस्तर में क़ानून और वक़ालत की दुनिया मे वो मुकाम हासिल किया है जिसे पाने में लोगो का पूरा जीवन निकल जाता है। जगदलपुर में जन्मे संकल्प दुबे एक अत्यंत माध्यम वर्गीय परिवार से आते है। श्री दुबे के पिता भी एक वकील है और उनकी माता जी नर्स के रूप में महारानी अस्पताल जगदलपुर में कार्य करती थी। उनको पुराने वक्त से जानने वाले लोग बताते है, की संकल्प बचपन से तेज़ और क्रांतिकारी स्वभाव के थे, साफ और सीधे बात करना हमेशा से ही उनकी आदत रही है। जिसके लिए आज भी वो जाने जाते है। कुछ लोगो का कहना है कि वे मन के तो अच्छे और साफ है पर वे अत्यंत अड़ियल, मूडी और विद्रोही स्वभाव के भी है, तथा वे वही करते है जो उन्हें ठीक लगता है। लोगो से चर्चा करने पर ये भी जानकारी मिली कि उन्होंने कभी अपने माता पिता की बात भी नही सुनी, वही किया जो उन्हें करना था, चाहे पढ़ाई का फैसला हो, जीवन का फैसला हो या फिर शादी का। उनके क़रीबी ये भी कहते कि संकल्प दुबे के अड़ियल स्वभाव का अपना फायदा है, जिसके कारण कोई उन्हें किसी लोभ या लालच से प्रभावित या मैनेज नही कर पता । यही कारण है कि बड़े से बड़े और गंभीर मामलों पर लोगो का विश्वास श्री दुबे पर बना रहता है।
अपने स्कूल की प्रारंभिक पढ़ाई जगदलपुर के निर्मल विद्यालय हायर सेकंडरी स्कूल से करने के दौरान संकल्प दुबे एक सामान्य छात्र थे। वो स्कूल के दिनों मे बहुत पढ़ाकू नही थे, लेकिन अन्य स्कूल की गतिविधियों जैसे NCC, स्काउट तथा अन्य मामलों में आगे रहते थे। बचपन से उन्हें जानने वाले बताते है कि कम उम्र से उनमे सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान बहुत था। अपनी स्कूल की पढ़ाई के बाद संकल्प के कानून पढ़ने का मन बनाया और यह बात उन्होंने अपनी माँ से कही। माँ ने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि बहुत खर्चा कर के वे उन्हें प्राइवेट कॉलेज में नही पढ़ा सकते यदि वे सरकारी संस्थान में पढ़ सकते है तो अपना प्रयास करे माता पिता उनका साथ देने को तैयार है। खास बात ये है कि इसके बाद संकल्प दुबे ने किसी सरकारी कॉलेज में दाखिल नही लिया , उन्होंने सीधे जबलपुर यूनिवर्सिटी के UTI की परीक्षा पास की और उनका दाखिल जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के लॉ एंड रिसर्च डिपार्टमेंट में हुआ जहा से 5 साल कानून की पढ़ाई कर के बाद उन्हें B.A.LL.B. (HONS.) की उच्चस्तरीय डिग्री प्राप्त हुई। श्री दुबे ने जबलपुर हाई कॉर्ट में ही अपनी इंटर्नशिप और जूनियरशिप पूरी की। श्री दुबे ने इसके उपरांत कानून की पढ़ाई में मास्टर्स करने का फैसला लिया और फिर से परीक्षा पास कर उन्होंने LL.M. में दाखिला लिए। दो साल फिर पढ़ने के बाद श्री दुबे में संविधान और प्रशासनिक विधि में अपना LL.M पूरा किया और अपनी मास्टर्स की डिग्री में उन्होंने यूनिवर्सिटी में भी टॉप किया । श्री दुबे द्वारा कानून में C.A.L.D. का कोर्स भी पूरा किया गया है।
संकल्प दुबे ने कानून और वक़ालत के सारे बड़े फोरम को छोड़ कर , बस्तर में अपनी स्वतंत्रता वक़ालत की शुरुवात की, जहा बहुत ही काम समय और उम्र में उन्होंने अपना एक बड़ा मुकाम और कद बनाया। आज संकल्प दुबे ना केवल एक सीनियर एडवोकेट के रूप में जाने जाते है बल्कि कानून के ज्ञान के मामले में बस्तर में एक जाना पहचाना चहरा है । शायद आज श्री दुबे को समाज में किसी परिचय की जरूरत नही है, वे अपनी एक अलग तेज़ तर्रार और बेबाक़ कार्यशैली के लिए जाने जाते है। श्री दुबे ने अपने वक़ालत के अब तक के सफर में अनेको बड़े और गंभीर मामले लड़े। 2013 के झीरम कांड में संकल्प दुबे ने कांग्रेस के तरफ से अदालत में धुंआधार पैरवी कर सारे बस्तर में अपनी वक़ालत का लोहा मनवाया। इसके बाद परीक्षा कांड तथा अन्य कई मामलों में श्री दुबे ने अपने कद का परिचय दिया। हमने देखा है कि संकल्प दुबे की वक़ालत का अपना ही एक अलग अंदाज और स्टाइल है। उनके क्लाइंट्स बताते है कि जब श्री दुबे कोर्ट में खड़े होकर पैरवी करते है तो अदालत के अंदर का नज़ारा देखने और सुनने लायक होता हैं।
आज संकल्प दुबे पूरे बस्तर संभाग के ना केवल सबसे नामी और बड़े वकीलों में गिने जाते है, बल्कि उनकी गिनती बस्तर संभाग के सबसे महंगे वकील में भी होती है। लोगो का ये भी कहना है कि संकल्प दुबे को अपने केस में खड़े करना आम आदमी के बस की बात नही हैं। परंतु श्री दुबे इस बात से साफ इंकार करते है और उनका कहना है कि वे क्लाइंट और केस को देख कर फीस तय करते है और वे हर वर्ग के लोगो के लिए वक़ालत करते है। इन बातो से अलग हमने यह भी देखा है कि अनेको बार श्री दुबे जनहित और जनता के मुद्दों पर लड़ाई लड़ते दिखते है । बहुत बार उन्होंने लाचार और गरिब लोगो के लिए मुफ्त में पैरवी की है। श्री दुबे अपनी तेज़ तर्रार और दबंग छवि के लिए मशहूर है , वे प्रशासन और प्रशानिक अधिकारियो तथा पुलिस प्रशासन के ऊपर कानूनी रूप से कड़ा प्रहार करने के लिए जाने जाते है। सिविल और क्रिमिनल मामलों में एक्सपर्ट संकल्प दुबे आज युवा वर्ग के लिए एक प्रेरणा है। अचरज की बात यह है कि विगत दस वर्षों से डाइबिटीज़ और हाइपर टेंशन से जूझ रहे श्री दुबे की कार्यशैली और ऊर्जा में कही भी बीमार होने या थकान की झलक नही दिखती है। बस्तर में जन्मे और अपनी धरती में सेवा देने वाले श्री दुबे को हम उनकी ऊर्जा और दृण संकल्प शक्ति के लिये सलाम करते है और उम्मीद करते है कि वे अपने ज्ञान से आगे भी बस्तर की जनता की सेवा करते रहेंगे।
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