सांसद, विधायक करें पत्रकारों को साथ लेकर करें कोविड वार्ड का दौरा!
0 जनता वास्तविकता जानना चाह रही है, स्वास्थ्य विभाग के अफसर आखिर क्यों छिपा रहे असलियत!
सिवनी - जिले में कोरोना कोविड 19 को लेकर सरकारी आंकड़े जो बयां कर रहे हैं, और प्रशासनिक कवायद जिस तरह की चलती दिख रही है, दोनों में कहीं भी मेल नहीं दिख रहा है। 11 दिनों में महज 187 मरीज मिलने और लगभग एक साल में महज 10 मौतों के बाद लॉक डाऊन के प्रस्ताव की बात किसी के गले उतरती नहीं दिख रही है।
स्वास्थ्य विभाग के हवाले से जारी होने वाली सरकारी विज्ञप्तियों पर अगर नजर डालें तो 25 मार्च से 04 अप्रैल तक कोरोना कोविड 19 के संक्रमित मरीजों के मिलने की संख्या बहुत ज्यादा नही है। 25 मार्च को 14, 26 मार्च को 19, 27 मार्च को 19, 28 मार्च को 18, 29 मार्च को होली के कारण संभवतः आंकड़े जारी नहीं हुए। इसके बाद 30 मार्च को महज 09, 31 मार्च को 12, 01 अप्रैल को 20, 02 अप्रैल को 25 एवं 03 अप्रैल को महज 09 एवं 04 अप्रैल को 42 इस तरह पिछले 11 दिनों में महज 187 मरीज ही सिवनी में मिले हैं। इसके अलावा निधन की अगर बात करें तो सिवनी में लगभग एक साल में महज 10 लोग ही कोरोना कोविड 19 से काल कलवित हुए हैं।
आज तक के संवाददाता पुनीत कपूर का कहना है कि शायद आकड़ों के हिसाब से ही लॉक डाऊन देश के आर्थिक राजधानी मुंबई में एक लाख की आबादी पर 53 पाजीटिव मिलने के बाद वहां लॉक डाऊन की सिफारिश नहीं की गई है पर सिवनी में एक लाख की आबादी पर महज 03 पाजिटिव मिलने पर लॉक डाऊन की सिफारिश करना अपने आप में आश्चर्य जनक ही माना जा सकता है।
वहीं दैनिक भास्कर से जुड़े मनीष तिवारी के द्वारा सोशल मीडिया व्हाट्स एप के एक समूह में सूत्रों के हवाले से इस बात को कहा गया है कि 05 अप्रैल को कोविड प्रभावित पाजिटिव मरीजों की तादाद 99 दर्शाई जा सकती है।
जिस तरह से रोजाना ही पालीथिन में पैक होकर कोविड प्रोटोकाल के तहत सड़कों से मोक्षधाम की ओर शव वाहनों ंमें शव जा रहे हैं उससे नागरिकों में भय व रोष पनपता दिख रहा है। नागरिकों को असलियत बताने में चुने हुए दोनों सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, डॉ. ढाल सिंह बिसेन, चारों विधायक दिनेश राय, राकेश पाल सिंह, योगेंद्र सिंह एवं अर्जुन सिंह काकोड़िया सहित जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना साहित अन्य जनप्रतिनिधियाों को चाहिए कि पत्रकारों को साथ लेकर शहर के सरकारी और निजि अस्पतालों के कोविड वार्ड का निरीक्षण कर असलियित देखें और उससे जन सामान्य को न केवल रूबरू करवाएं वरन अगर सरकारी आंकड़ों और असलियत में फर्क है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की सेवामुक्त करने की कार्यवाही की अनुशंसा करें, क्योंकि उनके द्वारा नोटिफाईड डिसीज कोरोना कोविड 19 के बारे में सच्चाई छिपाई जा रही है।
नागरिकों का कहना है कि किसी दिन प्रशासन और पुलिस बहुत ज्यादा सख्त नजर आते हैं, किसी दिन प्रशासन और पुलिस पूरी तरह खामोश ही दिखते हैं। किसी दिन दुकानें सील करने की ताबड़तोड़ कार्यवाही होती है तो किसी दिन पूरी तरह मौन ही पसरा दिखता है।
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