दाम 1000 ग्राम का खुले आम चल रही धांधली का आखिर कौन है जिम्मेदार
750 ग्राम का हुआ 1 लीटर सोयाबीन तेल का पैकेट
धारनाकलां बरघाट- सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का यह कहावत आज हमारे सिवनी जिले में बिल्कुल चरितार्थ हो रही है जहां पर जमाखोरी और सूदखोरी चरम सीमा पार गई कर गई है जिसके चलते जिले की जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है परंतु जिन जनों को अपने मत देकर गद्दी पर आसीन किया है उन्होंने ही सिवनी जिले की जनता पर पीठ पीछे ऐसा खंजर उतारा है कि कहीं से भी बचने के चांस अब जिले की जनता को नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि वर्तमान में प्रदेश में और देश में भाजपा की सरकार का बीज है इस सरकार के कार्यकाल में इतिहास गवाह है कि आज तक किसी भी सरकार के कार्यकाल में महंगाई ने और जमाखोरी ने अपने पैर बिल्कुल भी ना पसारे थे परंतु इस सरकार के कार्यकाल में आज गरीब मजदूर किसान के पास सिवाय आत्महत्या करने के कोई राह नहीं सूझ रही है जिसके चलते बढ़ती महंगाई के चलते प्रदेश के किसान और गरीब मजदूर आज दर दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हैं फिर भी संबंधित विभाग और सरकार सिर्फ अमीर तबके के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए कमर कस रखी है जिससे जिले की जनता ग्रामीण अंचल के भोले भाले लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर सकें और धन्ना सेठ और जमाखोरों को सोने चांदी के सिंहासन पर विराजमान कर सके यह कसम वर्तमान सरकार और नापतोल विभाग ने खा रखी है जिन की आड़ में जिले की भोली-भाली जनता को जमाखोरी करने वाले सरेआम कालाबाजारी कर लूट का सूट कर रहे हैं जिन पर शायद अब कोई शिकंजा कस नही पाएगा इतिहास गवाह है कि आज सिवनी जिले का दुर्भाग्य ही रहा है कि जब जब भी जिले की जनता ने जिस पर विश्वास करके अपने मतदान से मत देकर गद्दी पर विराजमान किया है उसी पार्टी ने उसी ने ही इस जिले की भोली-भाली जनता की पीठ पर खंजर ही उतारा है
नापतौल विभाग की कुम्भकर्णी नीद की फल भुगत रही हैं सिवनी जिले कि जनता
कहने को तो सिवनी जिले में हर एक खाद्य पदार्थ की वस्तुओं का एक मापक यंत्र होता है एक अलग से सरकार ने विभाग तय करके रखा है जिसे नापतोल विभाग के नाम से जाना जाता है परंतु जहां नापतोल विभाग सिर्फ जमाखोरी करने वालों की चरणों की धूल बन बैठा है जो जब वसूली करने का समय होता है तब ही अपने ऐसी वाले कमरों से बाहर निकलते हैं बरसाती मेंढक की तरह लूट का सूट कर फिर से अपने इसी कमरे में आराम फरमाते हैं इनके आराम के चलते जिले की जनता को आज खाद्य पदार्थों में जो लेबल लगे आ रहे हैं वह कुछ कुछ और है और वस्तु स्थिति और सही नाम कुछ और और दाम अधिक देने पड़ रहे हैं क्योंकि जिले का नापतोल विभाग अभी कुंभकरण की नींद में सोया हुआ है इसकी नींद के चलते जमाखोरी करने वाले नगर सिवनी ,बरघाट धारना कला,आष्टा,गंगेरुवा, अरी, गोपालगंज, बहराइ, कान्हीवाड़ा, कुराई, धुमा, लखनादौन, के धन्ना सेठ के द्वारा जमाखोरी कर अनाप-शनाप रेट में सोयाबीन तेल के कम मात्रा के पैकेट बनाकर अधिक दाम में विक्रय कर क्षेत्र की भोली भाली जनता को लूट का सूट कर रहे हैं जिनके सोयाबीन तेलों के पैकेट में प्रति लीटर की मात्रा भी बहुत कम है और उसे 1 लीटर बताकर अधिक दामों में ग्रामीण अंचलों में शहरी अंचलों में बेखौफ होकर लूट का सूट का खेल अधिक दाम में विक्रय करने का खेल इन क्षेत्रों के जमाखोरी करने वाले कर रहे हैं जिन पर विभाग से लेकर संसद तक की के लोग इस लूट का सूट के खेल में संयुक्त नजर आ रहे हैं जिन पर इतिहास में आज तक कभी कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की गई है जिसके चलते क्षेत्र की जनता को कम मात्रा की चीजों में भी कम नापतोल की चीजों में भी अधिक मात्रा का धन देना पड़ रहा है और यह खेल लगत लंबे अरसे से चला आ रहा है।
750 ग्राम का हुआ 1लीटर यह कैसा नापतौल
जब से हमारे देश में ऋषि मुनियों के आश्रमों से लेकर 21 वी सदी के बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी ओं में भी यही पढ़ाया और सिखाया जाता है कि 1000 ग्राम का 1 लीटर होता है परंतु हमारे सिवनी जिले में आज जो सोयाबीन के तेल के पैकेट बिक रहे हैं वह 750 ग्राम का है जो अब 750 ग्राम का 1 लीटर के भाव से बेचा जा रहा है और राशि पुरी 1 लीटर मतलब 1000 ग्राम की ली जा रही है यह कैसा नापतोल है और किस की शह पर इस है पर इस तरह का नाप तोल कर खाद्य पदार्थों में अलग लेबल लगाकर अलग वस्तु स्थिति दिखाकर अधिक दामों में कम वजन का सामान विक्रय किया जा रहा है साथ ही या खुले आम 750 ग्राम के पैकेट को 1000 ग्राम का पैकेट सोयाबीन के तेल का बनाकर बेधडक़ होकर बेच रहे हैं जिस कंपनी का आज तक अता-पता तक ना था वह अचानक लॉकडाउन के चलते हर क्षेत्र में काबिज भी हो गई और बेधडक़ होकर 750 ग्राम के पैकेट को 1 लीटर बनाकर बेधडक़ होकर क्षेत्रीय जनता को बेचा जा रहा है सिवनी जिले में आखिर ऐसा कौन सा गणितज्ञ आज इन जमाखोरों के लिए उत्पन्न हो गया जो 750 ग्राम के सोयाबीन के पैकेट को 1 लीटर का बताकर बेखौफ होकर बेचा जा रहा है त्योहारी सीजन में आए दिन इनकी खपत ग्रामीण अंचलों में कुछ अधिक ही मात्रा में भोले भाले लोगों को 750 ग्राम सोयाबीन के तेल का पैकेट 1000 का ग्राम का बता कर बेखौफ होकर यहां गोरख धंधा चलाया जा रहा है क्या जिले के संवेदनशील कलेक्टर इन कम पढ़े-लिखे गणितज्ञों पर कम नापतोल करने वालों पर और नापतौल विभाग पर कोई दंडात्मक कार्रवाई करेंगे या नहीं यह समझ के परे है।
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