पिछले 2 वर्षो से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, जशपुर, राजनांदगांव, बालोदाबाजार, व अन्य जिलों में किसानो के बीच : समीर सिंह
जैसा कि हम जानते हैं धान भारत की एक महत्वपूर्ण फ़सल है और और ऐसे में धान में उर्वरकों का सही और उचित समय पर इस्तेमाल ना किया जाय तो उसके पैदावार पर बहुत बुरा असर पड़ता है इनके अलावा हमें यह भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि हमें पूरी तरह से उर्वरकों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि उसके साथ अगर आपके पास हरी खाद, गोबर की खाद या कंपोस्ट की सुविधा उपलब्ध है तो उसका इस्तेमाल जरूर करें, इनके साथ साथ यह भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि हम किस तरीके से पैदावार के साथ साथ मिट्टी की स्वास्थ्य तथा फसल की गुणवत्ता बरकार रखे
इन्हीं सब बातों को ध्यान मे रखते हुए किसानो के बीच, इलाहाबाद एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय से, डॉ. समीर सिंह विगत वषों की भाँति छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में किसानो के बीच उनकी समस्याओं का समाधान करते हुए दिखे साथ ही साथ धान के खेत में लगने वाले रोग की स्थिति तथा उनके रोकथाम के लिए उचित प्रबंधन की भी जानकारीयाँ दी।
इस समय धान में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से भी बहुत सारे रोग होते हैं जिसमें खैरा रोग प्रमुख माना जाता है खैरा रोग के लक्षण में नई निकली हुई पत्तियाँ पीली पडने लगती हैं तथा इसके निचले पत्तियों में खैरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं, ऐसे में इन पौधों का विकास रुक जाता है जिससे फसल के पैदावार पर बहुत बुरा असर पड़ता है, जिसके रोगथाम के लिए 1:2 के अनुपात में जिंक के साथ बुझे चुने का 1000 ली. पानी में इस्तमाल कर इस रोग से निजात पाया जा सकता है।
संवाददाता दयाशंकर
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