अब धान की सीधी बुवाई कर रहे हो या फिर उसी नर्सरी तैयार कर रहे हैं सही और उपयुक्त किस्मों का चुनाव बहुत जरूरी होता है, जिसमें आप हर क्षेत्र विशेष के लिए अलग-अलग किस्मों का चुनाव कर सकते हैं क्योंकि क्षेत्र विशेष के लिए ही किस्में निकाली गई है। इन सबके साथ साथ जब कि धान लगभग दो महीने की हो गई है तो खरपतवारो का नियंत्रण बहुत जरूरी होता है जिसके लिए प्रारम्भ में पेटिलाक्लोर नाम की एक दवा आती है जिसकी 0.75 केजी/ हेक्टेयर या फिर पेंडिंमेथलीन 1 केजी 500-600 लीटर पानी मे घोल बनाकर बुवाई के तुरंत बाद छिड़काव कर दें यह छिड़काव बुआई के 3 से 4 दिन के अंतराल पर कर देंना चाहिए,
इन्हीं सब बातों को ध्यान मे रखते हुए किसानो के बीच, इलाहाबाद एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के डॉ. समीर सिंह विगत वषों की भाँति छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में किसानो के बीच उनकी समस्याओं का समाधान करते हुए दिखे साथ ही साथ धान के खेत में लगने वाले रोग की स्थिति तथा उनके रोकथाम के लिए उचित प्रबंधन की भी जानकारीयाँ दी।
इस समय धान में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से भी बहुत सारे रोग होते हैं जिसमें खैरा रोग प्रमुख माना जाता है खैरा रोग के लक्षण में नई निकली हुई पत्तियाँ पीली पडने लगती हैं तथा इसके निचले पत्तियों में खैरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं, ऐसे में इन पौधों का विकास रुक जाता है जिससे फसल के पैदावार पर बहुत बुरा असर पड़ता है, जिसके रोगथाम के लिए 1:2 के अनुपात में जिंक के साथ बुझे चुने का 1000 ली. पानी में इस्तमाल कर इस रोग से निजात पाया जा सकता है।
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