ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जान जोखिम में डाल रहे हैं, मझाण गांव के 110 बच्चे चलना पड़ता है रोज 4 से 5 किलोमीटर
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ग्राम पंचायत गाड़ापारली के मझाण गांव के 110 बच्चों को मोबाइल नेटवर्क में आने के लिए 4- 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है और मोबाइल नेटवर्क के लिए एक खतरनाक पहाड़ी पर बैठना पड़ता है जहां हर समय बच्चों के गिरने की संभावना है।
बच्चों के अभिभावकों तथा गांव के लोगों का कहना है कि अगर इन बच्चों के साथ किसी भी तरह का हादसा होगा तो उसके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी। इस संदर्भ में कई बार उन्होंने सरकार से आग्रह किया की सड़क तो 10 किलोमीटर दूर है कम से कम एक मोबाइल टावर तो हो पर सरकार ने इस संदर्भ में कोई काम नहीं किया।
अभिभावको ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के द्वारा (हर घर बने पाठशाला) के माध्यम से जहां प्रतिदिन सभी विषय को पढ़ाया जा रहा है लेकिन हमारे बच्चे प्रतिदिन चार पंच किलोमीटर पैदल चलने से असमर्थ है जिस कारण हमारे बच्चों के साथ प्रदेश सरकार अन्याय कर रही है दूसरी तरफ उन्होंने यह भी बताया कि अध्यापकों ने बच्चों को नोट्स भी दिए और रेडियो, टीवी द्वारा की जा रही पढ़ाई के बारे में भी बताया और एक सप्ताह के लिए घर जा जाकर गृह कार्य भी दिया👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
परंतु मोबाइल के माध्यम से जो ऑनलाइन पढ़ाई है उस वह काफी पिछड़ रहे हैं। अभिभावकों, तथा गांव वासी, कुंजलाल, नोक सिंह, शादी लाल, जवाहर लाल, तेजा सिंह गुर, युवा शिवदयाल, अनिल कुमार, तीर्थ राम, रमेश चंद का मानना है कि उनके बच्चे तथा यहां के युवा अपने आप को आधुनिकता से नहीं जोड़ पा रहे हैं। उनके लिए मोबाइल और सड़क का ना होना अभिशाप है। उनका मानना है कि प्रदेश सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है।
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☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️इन लोगों की सिर्फ एक ही मांग है कि इनके यहां पर कम से कम एक टावर तो लगाया जा सके जिसके कारण उनके बच्चे आधुनिकता से जुड़ सकें। प्रगति मीडिया जतिन कुमार की रिपोर्ट
संवाददाता जतिन कुमार
एरिया मैनेजर ऑल हिमाचल प्रदेश
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