सीख जाओ वक्त पर अपनों की कदर करना,
कहीं थक ना जाए कोई तुम्हें एहसास दिलाते- दिलाते.
मैं वानी आज एक छोटी सी कहानी आप लोगों के साथ शेयर करने जा रही हूं कहानी का टाइटल है, कुसूर किसका आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आएगी।
कुसूर किसका
एक संपन्न परिवार का गुजारा आम परिवार की तरह ही गुजर रहा था। परिवार में कुल 8 से 10 सदस्य थे।सब अपनी अपनी इच्छाओं के अनुसार अपने मन मुताबिक जीवन का व्यापन कर रहे थे।
जिस तरह मौसम बदलते रहते हैं ऋतुए आती जाती रहती हैं ठीक वैसे ही दुख और सुख का आना जाना लगा रहता था इस परिवार में।खुशियां आती तो परिवार एकजुट हो जाता और समय का पता ही नहीं लग पाता कि समय कैसे व्यतीत हो रहा है दुख आता तो वह इंसान को मजबूत बनाता परिस्थितियों को लड़ने की निपटने। कभी खुशी तो कभी गम का आना जाना लगा रहता था।
ऐसे ही अंजली का परिवार अपना समय अपनों के साथ बिता रहा था।[post_ads]
अंजली के परिवार में दादा दादी,चाचा चाची, माता पिता और एक बड़ी बहन और एक सबसे छोटा भाई था, अंजलि बहन से छोटी लेकिन भाई से बड़ी थी। सभी अपने अपने कामों में अपनी रोजमर्रा के जीवन को चलाने में व्यस्त रहते हैं।
अंजली की बड़ी बहन अंजली की मानव मां जैसी है क्योंकि एक बड़ी बहन ही अंजलि को अपना थोड़ा समय दे पाती थी।
परंतु बड़ी बहन का विवाह होने पर वह भी उससे दूर हो गई। पिता का प्राइवेट कारोबार है, उसी कारोबार के सिलसिले में वे सुबह घर से निकलते और शाम को घर वापस लौटते। अंजली की माता वैसे तो ग्रहणी है परंतु माता की तबीयत ठीक ना रहने के कारण उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया था। ऐसे में अंजली की बड़ी बहन ही थी जो एक मां का फर्ज अदा करती थी।
हम बात करते हैं अंजलि की, वह कैसी है और कैसे उसकी खूबियां उसे लोगों से अलग करती है कैसे अंजलि के विचार सभी लोगों से मेल खा जाते हैं सबको वह बहुत सुलझी हुई समझदार और आत्मनिर्भर सम्मानी लगती है। वैसे तो अंजलि दिखने में ठीक-ठाक है उसमें लग्न है तो चीजों को जानने की और पढ़ने की उसका अपना कोई विशेष विषय नहीं है लेकिन वह रूचि पढ़ने में रखती है उसको पढ़ना इतना अच्छा लगता है कि वह समझ ही नहीं पाते कि उसका सबसे दिलचस्प विषय कौन सा है । वह किसी विशेष विषय में रुचि नहीं है रुचि रखती है तो केवल किताबों में।कुल मिलाकर उसे पढ़ना बेहद पसंद है परंतु घर की जिम्मेदारियों ने और समाज की रूढ़िवादी सोच ने उसे कब समय से पहले इतना जिम्मेदार और समझदार बना दिया कि वह केवल परिवार की होकर रह गई। समय बीतता गया उसकी आयु लगभग 10-12 साल की हो गई थी, केवल 12 साल की आयु में उसने दुनियादारी परिवार को कैसे संभालते हैं खाना पकाना लोगों का सम्मान करना उनकी छोटी-छोटी खुशियों का ख्याल रखना उसने कब सीख लिया उसे खुद नहीं पता लगा इन सब में उसने अपने बचपन के दिनों का त्याग कर दिया,उसे पता ही नहीं चला कि बाल अवस्था क्या होती है, लेकिन वह इस बलिदान को त्याग नहीं, खुशी समझती थी कि यह त्याग नहीं केवल उस पगली का अपनों के लिए बेशुमार प्यार था जो कि अपनी अच्छाई का परिचय देती । वह कभी किसी से कुछ नहीं साझा करती थी बस अपनी भावनाओं को कुछ लाइनों में लिखकर ड्राइंग करके तो कभी शेरो शायरी करके अपनी भीतर की छुपी महत्वाकांक्षाओं भावनाओं को व्यक्त करती थी।सभी व्यक्ति में कुछ अच्छाइयां होती हैं तो कुछ कमियां भी होती हैं ठीक वैसे ही अंजलि में भी एक कमी थी वह वैसे तो बहुत चपड़ चपड़ करती थी लेकिन कोई डांटे तो पलट के जवाब ना देना उसका भोलापन या सीधापन था जो चुपचाप सबकी बातें मान लेती थी और इस बात पर उसे बहुत लोग अंजलि को सुलझा हुआ बहुत होशियार या बहुत समझदार टैग दे देती थे।
जन्म होते ही थी मानो कुदरत ने ही उसको वरदान दिया हो टूटी हुई चीजों को जोड़कर सुंदर आकृति प्रदान करना वेस्ट मटेरियल की चीजों से किसी नई चीज का निर्माण करना, अंजलि की खूबियों का उदाहरण है।
लेकिन कोई नहीं था जो उसके भीतर की आकांक्षाओं को महसूस कर पाता पिता व्यस्त रहते माता की तबीयत ठीक नही रहने के कारण अंजलि के लिए समय ही नहीं था। बड़ी बहन थी जो कि उसका विवाह कर दिया गया वह भी उससे दूर हो गई।
छोटे भाई को अभी दुनियादारी की समझ ही कहां थी केवल 6 वर्ष की आयु का था।
बची अंजलि दोस्त तो थे लेकिन उनका भी अपना स्वार्थ होता कभी अंजलि का साथ पाने के लिए तो कभी पैसों के लिए कभी कुछ और चीजों के लिए।
सच्चा दोस्त उसे मिला ही नहीं जिसे वह अपनी दिल की बातें साझा कर पाए।
और परिवार हैं लेकिन अंजलि को देने के लिए समय नहीं किसी के पास ऐसे में वह दुखी उदास रहने लगती है। बस अपनी जिम्मेदारियों को ही अपना कर्तव्य समझकर करती जाती है। अपने लिए जीना भूलकर अपनों के लिए जीने की शुरुआत करती है। लेकिन समय बीतने के साथ अंजलि जिम्मेदारियों के बोझ ने उसका बचपन छीन कर उसे खिलखिला कर हंस ना भुला दिया चेहरे पर मुस्कान जरूरी है यह बात उसे समझ आ चुकी थी ताकि लोग यह ना कह सके कि उसे परिवार में किसी प्रकार का कोई दुख है या कोई परेशानी है
और अपनी 8 साल की आयु में परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने लगती है।
और आज 8 साल की अंजलि को वक्त से पहले 38 साल की लगती है केवल अपने विचारों से यह उसका गुण है या अवगुण आप ही मुझे कमेंट के जरिए बताइए खुद को अकेला महसूस करती है उसकी क्या गलती है समय से पहले बड़ी हो गई या फिर परिवार का सहारा बनी ऐसे ही समय बीतता गया वह अपने जिम्मेदारियों को लेकर कब 8 साल की आयु से 18 साल की हो गई उसे खुद ही इस बात का पता नहीं लगा। आप हीी बताइए कूूूसूूर किसका है ।
अंजली का बचपन कैसे बीता यह तो आप लोगों ने जान लिया लेकिन अब उसका विवाह हो चुका है।
कसूर किसका के अगले पाठ में हम उसका वैवाहिक जीवन के बारे में चर्चा करेंगे ।
क्या अंजली के जीवन में उसे कोई कहानी का राजकुमार मिला,
या आज भी वह ऐसे ही जिम्मेदारियों में उलझी है।
कैसा है अंजली का ससुराल और ससुराल के लोग
और सबसे मजेदार बात अंजली की शादी अरेंज मैरिज थी या लव मैरिज
क्या अंजली की अच्छाई उसका भोलापन और सीधापन उसके लिए वरदान साबित हुआ या अभिशाप।
यह सारी बातें हम कसूर किसका के अगले पाठ में जानेंगे कहानी आप लोगों को कैसी लगी और इसका अगला पाठ जानने के लिए कमेंट करें।
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