जौनपुर।
12 साल बाद 53 फर्जी शिक्षकों पर कसा शिकंजा।
जनपद के 53 फर्जी शिक्षकों पर उनके उनके प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद राय द्वारा लाइन बाजार थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी और इसके बाद जांच प्रारंभ हुआ तो फाइलों में दफन मामला 12 साल बाद पुन: गति पकड़ लिया है। इस समय के शासन द्वारा फर्जी शिक्षकों पर कड़ा रुख अपनाए जाने के बाद असर है कि सोमवार को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्लू) वाराणसी की टीम बीएसए कार्यालय पहुंची। पटल देख रहे बाबू के अवकाश पर रहने के कारण बैरंग लौट गई। टीम मंगलवार को पुन: आएगी।
वर्ष 2001 से 2003 तक परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक गैर जनपद के स्थानांतरण कराकर जनपद में आए थे। इनके शैक्षिक प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत पर शासन के निर्देश के बाद जांच कराई गई। जांच में आरोप सही मिलने पर 30 शिक्षकों को बर्खास्त करके तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद राय ने लाइन बाजार थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया। आठ करोड़ रुपये से अधिक वेतन भुगतान व अन्य मामलों की जांच ईओडब्लू को सौंपी गई थी। खामी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12 साल बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई। इस दौरान कई विवेचक बदले गए और कई बार टीम आकर पूछताछ की। आरोप है कि विभाग के घाघ बाबुओं व तत्कालीन अधिकारियों ने न तो जांच में मदद की और न ही अभिलेख सौंपे। असहयोग के चलते मामला फाइलों में दफन हो गया था। क्योंकि 12 वर्षों तक शिक्षा विभाग में ऐसी जांच कराने में सहयोग नहीं किया गया।
संवादाता
रवि कुमार केशरी
क्राइम रिपोर्टर
COMMENTS