आमलकी एकादशी व्रत
आमलकी एकादशी तिथि को हिंदू धर्म में पवित्र तिथि के रूप में माना जाता हैं वही फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पुष्य नक्षत्र पर आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं
आमलकी एकादशी व्रत विधि
भारत देश में आमलकी एकादशी को विशेष रूप से बनाया जाता है. इस दिन आंवले के पड़ की और भगवान श्री विष्णु की आराधना करने का विशेष महत्व होता हैं।
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ऐसा भी कहा जाता हैं कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले की पूजा करने से मनुष्य के लिए वैकुण्ठ धाम के द्वार खुल जाते हैं उसे साक्षत सृष्टि के संचालक श्री विष्णु के चरणों में जगह प्राप्त हो जाती हैं, मनुष्य के पापो का नाश हो जाता है
आमलकी एकादशी व्रत करने से, इस वर्ष आमलकी एकादशी का व्रत 6 मार्च यानी की आज रखा जा रहा हैं यह पर्व 5 मार्च को दोपहर करीब 1:20 से शुरू होकर 6 मार्च को सुबह 11: 50 तक हैं।
वही आमलकी एकादशी के व्रत करने से पूर्व जातक को शुद्ध भाव से व्रत करने का संकल्प करना चाहिए।
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स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान श्री हरि विष्णु का श्रद्धा से धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूलों से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में आंवले की टहनी को कलश में स्थापित करके पूजन करना अति उत्तम माना जाता हैं
अगर आमलकी एकादशी का व्रत कर के आंवले के पेड़ की पूजा की जाए तो सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं। क्योंकि इस पेड़ में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता हैं आंवले के पेड़ को भगवान श्री हरि विष्णु ने उत्पन्न किया था।
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