झारखंड के लोकायुक्त ने देवघर कोऑपरेटिव ग्रेन बैंक लिमिटेड की मैनेजिंग कमिटी को अविलंब भंग करने का आदेश दिया है। जिसके बाद सहयोग समितियां की निबंधक ने इस मैनेजिंग कमिटी को भंग कर दिया। लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत के बाद सहयोग समितियां की निबंधक ने यह आदेश जारी किया है। उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि देवघर कोऑपरेटिव ग्रेन बैंक लिमिटेड निदेशक बोर्ड विधि सम्मत नहीं है और समिति के पदाधिकारियों पर ही अनियमितता का आरोप है। इस शिकायत की जांच पूर्व में देवघर के अपर आयुक्त और तत्कालीन एसडीओ देवघर ने की थी। जांच में आरोपितों पर मनी लांड्रिंग का दोषी पाया गया था और कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। आरोपों की पुष्टि के बाद सहयोग समितियां की निबंधक सुचित्रा सिन्हा ने देवघर के जिला सहकारिता पदाधिकारी निरंजन कुमार को छह महीने के लिए देवघर कोऑपरेटिव ग्रेन बैंक लिमिटेड का प्रशासक बनाया है। ज्ञात हो कि वर्ष 2017 में देवघर के वरुण कुमार राय व अन्य ने लोकायुक्त कार्यालय में मामले की शिकायत की थी और इस कांड की जांच सीबीआइ या एसीबी से कराने की मांग की थी। उनका आरोप था कि देवघर में 44 हजार किसानों के लिए 1987 में स्थापित जिला स्तर की एकमात्र निबंधित सहकारी संस्था है। यह बोर्ड कार्यकारिणी के माध्यम से संचालित है। इसके अवैतनिक सचिव जयप्रकाश नारायण सिंह व रवींद्र शर्मा के नियम विरुद्ध कार्य के चलते संस्था की वित्तीय स्थिति दयनीय हो गई है। सचिव कार्यालय नहीं, अपने घर से ही कार्य संचालित करते हैं। नियम विरुद्ध कार्य करते हुए उनलोगों ने संस्था की ऋण वसूली राशि, धान-गेहूं बीज की राशि, उर्वरक की राशि का घोटाला किया। यहां कार्यरत सभी कर्मियों को जबरन हटाकर घोटाले के आरोपित सेवानिवृत्त रवींद्र शर्मा को प्रबंधक के पद पर पदोन्नति देते हुए पांच साल का सेवा विस्तार कर दिया।
विगत 19 अगस्त को सुनवाई के दौरान लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने सहयोग समितियां के सहायक निबंधक महादेव मुर्मू को निर्देश दिया था कि देवघर कोऑपरेटिव ग्रेन बैंक लिमिटेड की पूर्व कार्यकारिणी को भंग करें और प्रशासक की नियुक्ति करें। जब अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी, तब वित्तीय अनियमितता का पूरा दस्तावेज प्रस्तुत करें।
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