शोक सभा का हुआ आयोजन
सोनभद्र- वरिष्ठ साहित्यकार/ इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के पिताश्री गुलाब प्रसाद केसरी के देहावसान के अवसर पर शहीद स्थल प्रबंधक ट्रस्ट करारी की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मधुरिमा साहित्य गोष्ठी के निदेशक अजय शेखर ने कहा कि-"जन्म और मृत्यु प्रकृति का विधि विधान है इसकी परिधि में हर एक जीव जंतु आते हैं। मानव पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी है और उसका जीवन गतिशील है। कालचक्र अपनी गति से चलता है और मानव का जीवन चक्र अपनी गति से उसका रुक जाना ही मृत्यु है जीवन का कटु सत्य मृत्यु है।
आयोजक प्रदुम त्रिपाठी ने कहा कि-10 सितंबर प्रातः 6:30 बजे का दिन हम लोगों के लिए दुखदाई रहा । समाजसेवी गुलाब केसरी का एकाएक दुनिया से विदा होना सामाजिक जगत की अपूरणीय क्षति है जिसकी पूर्ति असंभव है।
कवि सरोज सिंह सरोज ने श्री केसरी जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन्म 4 अप्रैल 1951 को रॉबर्ट्सगंज नगर के पैतृक आवास पर हुआ था और राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत सार्वजनिक निर्माण विभाग में बतौर सरकारी कर्मचारी नियुक्त हुए और सेवानिवृत्ति के बाद जीवन यापन कर रहे थे। अपने पीछे अपनी पत्नी सुशीला देवी
सहित दो पुत्रों का भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर अर्जुन दास केसरी, कथाकार रामनाथ शिवेंद्र,विजय शंकर चतुर्वेदी, कमल नयन तिवारी आदि गणमान्य साहित्यकारों, पत्रकारों, नागरिकों ने 2 मिनट का मौन रखकर मृतक आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया।
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