हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति संयुक्त बयान में प्राइवेट ऑपरेटरों के कुछ लोगों द्वारा की जा रही बयानबाजी का संज्ञान लेते हुए कड़े शब्दों में निन्दा की है और चेताया है
हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री प्यार सिंह सिंह, उपाध्यक्ष श्री मान सिंह, सचिव श्री खेमेन्द्र गुप्ता, प्रवक्ता श्री संजय बढ़वाल, कोषाध्यक्ष श्री जगदीश चंद् एवं सर्व श्री हरीश कुमार, टेक चन्द, पूर्ण चन्द, नवल किशोर, बाल किशन, मिलापचंद, ऋषि लाल, संजीव कुमार, सुखराम, हरि लाल, समर चौहान, देशराज, यशपाल, मेघ राम, गोपाल लाल, मनोज कुमार आदि ने संयुक्त बयान में प्राइवेट ऑपरेटरों के कुछ लोगों द्वारा की जा रही बयानबाजी का संज्ञान लेते हुए कड़े शब्दों में निन्दा की है और चेताया है कि बेकार की बयानबाजी तुरंत बंद करें। यदि हिम्मत है तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाए न्यायालय केवल प्राइवेट ऑपरेटरों के लिए ही नहीं है बल्कि सभी के लिए है। अब समय आ चुका है कि एचआरटीसी का कर्मचारी अगला आंदोलन प्राइवेट ऑपरेटरों की मनमानी के खिलाफ ही करेगा और मांग करेंगे की हिमाचल प्रदेश में भी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की तर्ज पर प्राइवेट बसों का प्रवेश परिवहन निगम के बस अड्डे के अंदर न दिया जाए।
जहां तक गलत रूट परमिट देने की बात है तो यह बात सत्य है कि निजी बस ऑपरेटरों को प्रदेश परिवहन नीति 2004 व 2014 के प्रावधानों का उल्लंघन कर रूट परमिट दिए गए हैं। इसकी पुष्टि एजी हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2016-17 में अपनी ऑडिट रिपोर्ट में विषेश उल्लेख कर एवम उच्च न्यायालय में दायर केस 7295/2012 से हो चुकी है। परिवहन नीति 2004 में निजी बसों को 60% ग्रामीण एरिया व 40% राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य राजमार्ग की शर्त को पूरा करने वाले निजी बस ऑपरेटरों को ही रूट परमिट दिए जा सकते हैं। परंतु अधिकांश रूट परमिटों में संशोधन इस नीति के खिलाफ किया गया है। यदि इस विवाद को अनावश्यक तुल दिया जाता है तो एचआरटीसी के कर्मचारियों को मजबूर होकर निजी बसों को दिए गए सभी रूट परमिटों की जांच कर गलत दिए गए रूट परमिटों को रद्द करने की मांग करने के लिए विवश होना पड़ेगा।
यहां यह भी स्पष्ट कर देना चाहते है कि एचआरटीसी के कर्मचारियों को कब, कहां और कैसा आंदोलन करना है इसकी इजाजत प्राइवेट ऑपरेटरों से लेने की आवश्यकता नहीं है। एचआरटीसी का कर्मचारी कानून की पूरी जानकारी रखता है उसका प्रमाण पत्र निजी ऑपरेटरों न बांटे। एचआरटीसी का कर्मचारी कठिन कंपीटिशन का टेस्ट क्वालीफाई कर अपनी सेवाएं देता है। वह सड़कों पर बेकार घूमने वाला कोई गुंडा मोवाली नहीं है।
खेमेन्द्र गुप्ता,
सचिव,
परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति
संवाददाता जतिन कुमार की रिपोर्ट
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