आशीष रावत मध्यप्रदेश - प्रदेश में लॉकडाउन की मंदी से अभी लोग उबर भी नहीं पाए थे। कि महंगाई की मार ने जीना मुहाल कर दिया है। सब्जियों और राशन की आसमान छूती कीमतों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है.....
प्रदेश में उपचुनाव के लिए नेता पुरजोर तैयारियां कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से लेकर सभी नेता-विधायक सभी चुनाव में व्यस्त हैं और आम जनता महंगाई से त्रस्त है।सब्जी, राशन, सबके भाव आसमान छू रहे हैं। इस महंगाई की चपेट से डिजल-पेट्रोल भी दूर नहीं है। आलम ये है कि, बढ़ती महंगाई ने हर किसी को त्रस्त है। इस महंगाई के बोझ ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पिछले एक हफ्ते में पेट्रोल-डीजल से लेकर खाना तक सब कुछ महंगा हो गया है।करीब 40 रुपए से कम कोई सब्जी ही नहीं है. पेट्रोल और डीजल के दाम भी अपने चरम पर हैं। एक जगह से दूसरी जगह जाना भी महंगा पड़ रहा है। सब्जियों के दाम भी पिछले लंबे समय से बढ़े हुए हैं और लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। आलू और प्याज वो सब्जी है, जो इंसान हर दिन खरीदता और खाता है. एक तरह से ये सदाबहार सब्जी हैं। लेकिन पिछले कुछ महीने से इनके दाम भी औसत लगभग 40 रुपए किलो बने हुए हैं। इसके दाम भी इतने बढ़ें हुए हैं कि आम इंसान की पहुंच से अब यह दूर होता जा रहा है।
एक ओर कोरोना महामारी के दौरान खुद को स्वस्थ रखने के लिए कहा जा रहा है। कि पौष्टिक आहार लें, इम्यूनिटी को बढ़ाएं। ऐसी चीजों को ज्यादा से ज्यादा खाएं, जो आपकी इम्यूनिटी को दुरुस्त रखें, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है। कि इस महंगाई की मार में इंसान उसे खरीदे तो खरीदे कैसे। उस की थाली में पौष्टिक आहार पहुंचे तो पहुंचे कैसे। आम इंसान पर महंगाई की मार इस कदर पड़ी है। कि लोगों को हर चीज महंगी ही मिल रही है। पहले ही कोरोनाकाल की वजह से लोगों को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा है। ऊपर से चारों ओर महंगाई की मार. ऐसे में लोग आम जीवन कैसे गुजारें यही सोचकर उनके हाल-बेहला है। आलम यह है कि अब लोगों को हर चीज में कटौती करनी पड़ रही है. क्योंकि इस महंगाई की मार ने लोगों की कमर ही तोड़ कर रख दी है।
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