डीवीसी(दामोदर वैली कॉरपोरेशन) केंद्र की संस्था है,जो पूरे देशभर के राज्यों के अलग अलग हिस्से को बिजली सप्लाई करती है ।
डीवीसी का यूपी पर 13862 करोड़ का बिजली बकाया है और झारखण्ड पर 4955 करोड़ रुपये का बिजली बकाया है ।
यूपी की बिजली नही काटी जाती है लेकिन झारखण्ड की बिजली काट दी जाती है वो भी तब जब नवजात हेमन्त सरकार के अबतक के दो महीने के कार्यकाल के 209 करोड़ के बिजली बिल को चुका दिया जाता है फिर भी..
डीवीसी झारखण्ड की हेमन्त सरकार को अल्टीमेटम देती है कि 20 फरवरी तक बिल चुका दे नही तो लोडशेडिंग की जाएगी । और फिर डीवीसी झारखण्ड की डेढ़ करोड़ जनता को केंद्र के इशारे पर साजिश के तहत परेशान करना शुरू कर देती है ।
झारखण्ड के कई हिस्सों में यह बात सोशल मीडिया,माउथ पब्लिसिटी के माध्यम से यह खबर फैलाई जाने लगी कि झारखण्ड में जब भाजपा सरकार थी तब कभी बिजली नही कटी और सरकार के बदलने के साथ ही बिजली कटनी शुरू हो गयी । ताकि लोगों में हेमन्त सरकार के प्रति रोष बढ़े ।
केंद्र सरकार ने झारखण्ड के साथ यह सौतेला व्यवहार इसलिए किया ताकि झारखण्ड में भाजपा को ही लोग बेहतर मान बैठे । और सारा दोष हेमन्त सोरेन की महागठबंधन सरकार के मत्थे आ जाये ।
यह गौर करने वाली बात है कि झारखण्ड ने डीवीसी की स्थापना के लिए विस्थापन से लेकर संसाधन बंटवारे तक के दंश झेले, बदले में डीवीसी ने झारखण्ड को क्या दिया ?
लोडशेडिंग, बिजली कटौती, तगादा
वो भी उस सरकार पर जिसने अभी अभी शपथ ग्रहण ही किया,जिसके अभी मात्र दो महीने हुए ।
डीवीसी का यूपी पर 13862 करोड़ का बिजली बकाया है और झारखण्ड पर 4955 करोड़ रुपये का बिजली बकाया है ।
यूपी की बिजली नही काटी जाती है लेकिन झारखण्ड की बिजली काट दी जाती है वो भी तब जब नवजात हेमन्त सरकार के अबतक के दो महीने के कार्यकाल के 209 करोड़ के बिजली बिल को चुका दिया जाता है फिर भी..
डीवीसी झारखण्ड की हेमन्त सरकार को अल्टीमेटम देती है कि 20 फरवरी तक बिल चुका दे नही तो लोडशेडिंग की जाएगी । और फिर डीवीसी झारखण्ड की डेढ़ करोड़ जनता को केंद्र के इशारे पर साजिश के तहत परेशान करना शुरू कर देती है ।
झारखण्ड के कई हिस्सों में यह बात सोशल मीडिया,माउथ पब्लिसिटी के माध्यम से यह खबर फैलाई जाने लगी कि झारखण्ड में जब भाजपा सरकार थी तब कभी बिजली नही कटी और सरकार के बदलने के साथ ही बिजली कटनी शुरू हो गयी । ताकि लोगों में हेमन्त सरकार के प्रति रोष बढ़े ।
केंद्र सरकार ने झारखण्ड के साथ यह सौतेला व्यवहार इसलिए किया ताकि झारखण्ड में भाजपा को ही लोग बेहतर मान बैठे । और सारा दोष हेमन्त सोरेन की महागठबंधन सरकार के मत्थे आ जाये ।
यह गौर करने वाली बात है कि झारखण्ड ने डीवीसी की स्थापना के लिए विस्थापन से लेकर संसाधन बंटवारे तक के दंश झेले, बदले में डीवीसी ने झारखण्ड को क्या दिया ?
लोडशेडिंग, बिजली कटौती, तगादा
वो भी उस सरकार पर जिसने अभी अभी शपथ ग्रहण ही किया,जिसके अभी मात्र दो महीने हुए ।
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