देवघर: शिवरात्रि के दिन बाबा मंदिर निकास गेट पर गोड्डा लोकसभा के सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा निकास गेट से प्रवेश किये जाने और पंडा धर्मरक्षिणी सभा के द्वारा सांसद के विरोध का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। ज्ञात हो कि पंडा धर्मरक्षिणी सभा ने 15 फरवरी को स्थानीय तीर्थपुरोहित समाज के लोगों के लिए नोटिस जारी कर शिवरात्रि के दिन निकास द्वार से बाबा मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध की जानकारी दी थी। सभा के अध्यक्ष के हस्ताक्षर द्वारा जारी इस नोटिस को सभा के कार्यालय और बाबा मंदिर के सिंह दरवाजे पर चस्पां किया गया था। तीर्थपुरोहितों समाज के लिए जारी इस नोटिस में स्पष्ट रुप से लिखा गया कि महाशिवरात्रि के दिन बाबा मंदिर में निकास द्वार से प्रवेश पूर्णतः बंद रहेगा। यहां तक कि बाबा मंदिर के गर्भगृह में रुद्राभिषेक नहीं किया जाएगा। ज्ञात हो कि बाबा मंदिर में भीड़ वाले दिनों में निकास द्वार से प्रवेश की मनाही होती है। अब सवाल यह कि बोर्ड और सभा की मनाही के बावजूद निकास द्वार से किसी का भी प्रवेश कैसे हुआ? मामला किसी एक सांसद या अधिकारी का नहीं है,बल्कि नियमों के सख्ती से अनुपालन का है। नियम तो नियम है और यह सब पर लागू होना चाहिए। आखिर निकास द्वार पर ड्यूटी में मौजूद मजिस्ट्रेट और सुरक्षा के लिए खड़े जवानों ने इस नियम का अनुपालन क्यों नहीं किया?
बहरहाल, इस मामले की जांच बेहद जरुरी है ताकि यह पता चल सके कि सांसद के अलावा और कितने लोगों ने शिवरात्रि के दिन निकास द्वार से बाबा मंदिर में प्रवेश किया था?
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