मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, रांची में आयोजित दो दिवसीय 'आजीविका वृद्धि एवं सतत् विकास के लिए वन अधिकार अधिनियम-2006 का प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित कार्यशाला में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन संरक्षण एवं वनोउत्पाद के वैल्यू एडिशन के माध्यम से लोगों को लाभ तथा रोजगार की दिशा में सरकार आगामी बजट सत्र के बाद पूरी गति से कार्य करेगी। झारखंड लोगों और वनों का घनिष्ट संबंध है। वनों पर आधारित उद्योग से सुदूर ग्रामीण तथा वन आच्छादित क्षेत्रों के ट्राइबल सहित सभी वर्गों के लोगों को जोड़कर उन्हें लाभान्वित करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। सामूहिक पट्टे के संबंध में भी सरकार चिंतन कर आगे बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड प्रदेश का बड़ा हिस्सा वनों से आच्छादित है। यहां बड़ी संख्या में लोग जल, जंगल और जमीन से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सदियों से जंगलों में जो उपज होती है उसका वैल्यू एडिशन कर आय का स्रोत कैसे बने इस पर चर्चा होती रही है। परंतु मेरा मानना है कि यह चर्चा बहुत विलंब से हो रही है। जब समस्याएं उत्पन्न होती हैं तब हमारी आंखें खुलती हैं। वन संरक्षण एवं वन उत्पाद पर पहले से ही कार्य होने चाहिए थे। आज कई संस्थाएं-एनजीओ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जंगल की गतिविधियों पर चर्चा कर रहे हैं। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व के लिए एक बड़ी समस्या और चुनौती के रूप में उभर कर सामने आ रही है। मनुष्य के लिए प्राकृतिक व्यवस्था एक महत्वपूर्ण कड़ी है। भौतिकवादी युग में प्रकृति से छेड़छाड़ करने से पहले उसके नकारात्मक प्रभाव पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति और मनुष्य के जुड़ाव को वर्तमान परिदृश्य में समझने की आवश्यकता है। प्राकृतिक को ताक पर रखकर विकास की लकीर नहीं खींची जा सकती है। प्राकृतिक व्यवस्था और विकास के बीच की खायी को पाट कर ही आगे बढ़ा जा सकेगा।
COMMENTS