टिहरी के पिता और दो पुत्रों ने रचा इतिहास
टिहरी झील को इतने घंटे में तैरकर किया पार उत्तराखंड के टिहरी जनपद ( Tehri District ) के प्रतापनगर के मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत और उनके दो पुत्रों ने टिहरी झील को तैरकर पार कर इतिहास रज दिया। बता दें कि पहली बार किसी भी व्यक्ति ने टिहरी झील में तैरकर 12 किमी की दूरी तय की है।
बयालीस वर्ग किमी लंबी टिहरी झील में गुरुवार को प्रतापनगर के मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत और उनके दो पुत्रों ने टिहरी झील ( Tehri Lake ) में सवा 12 किलोमीटर तैर कर इतिहास रच दिया। दोनों पुत्रों ने जहां यह दूरी साढ़े तीन घंटे, वहीं पिता ने सवा चार घंटे में इसे तय किया। किसी भी व्यक्ति ने पहली बार टिहरी झील में तैर कर इतनी दूरी तय की है। इसके लिए विधिवत रूप से जिला प्रशासन से अनुमति ली गई थी ( The permission was duly taken from the district administration. )। त्रिलोक सिंह रावत का कहना है कि अपनी प्रतिभा ( Talent ) को दिखाने के लिए उन्होंने तैरने का फैसला लिया.
टिहरी झील ( Tehri Lake ) किनारे कोटी कालोनी में गुरुवार सुबह आइटीबीपी की टीम की निगरानी में मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत (49) और उनके बेटे ऋषभ (18) और पारसवीर (15) ने तैरकर अपनी यात्रा शुरू की। त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों ने भल्डियाणा तक सवा 12 किलोमीटर दूरी तैरकर तय की। त्रिलोक सिंह रावत सवा चार घंटे में पहुंचे तो उनके बेटे ऋषभ और पारसवीर साढ़े तीन घंटे में भल्डियाणा तक पहुंचे।
त्रिलोक सिंह रावत ने बताया कि टिहरी झील 42 वर्ग किमी में फैली है और लगभग 260 मीटर गहरी है। यहां पर तैरना काफी कठिन था, लेकिन वह कई साल से अपने गांव के पास झील के बैकवाटर में ही प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने और उनके बेटों ने टिहरी झील ( Tehri Lake )की अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए तैरने का फैसला किया। भविष्य में वह इससे ज्यादा दूरी तय कर कीर्तिमान बनाने का प्रयास करेंगे। डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि पिता-पुत्रों ने बाकायदा जिला प्रशासन से अनुमति ली ( Took permission from the district administration ) थी और उन्हें बाकायदा आइटीबीपी से सुरक्षा दी गई थी
मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत क्षेत्रीय विधायक ( Regional legislator ) विजय सिंह पंवार के प्रतिनिधि भी हैं और समाज सेवा से भी जुड़े हैं ( involved in social service )। रावत ने बताया कि वह बचपन से ही नदी किनारे रहे हैं। ऐसे में तैरना बचपन से ही सीख लिया। उसके बाद उन्होंने टिहरी झील ( Tehri Lake ) में अपने दोनों बेटों को भी तैरना सिखाया। उनके बेटे ऋषभ 12वीं में और पारसवीर 10वीं में पढ़ता है। अगर सरकार का सहयोग ( Government support ) मिला तो वह अपने बच्चों को तैराकी के क्षेत्र में भेजने का भी विचार कर सकते हैं.
टिहरी गढ़वाल से सुनील जुयाल की रिपोर्ट
COMMENTS